गांधीनगर
इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट ने डीजी वंजारा और एनके अमीन को आरोप मुक्त कर दिया। गुजरात सरकार ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया था। इसलिए विशेष अदालत ने दोनों को आरोप मुक्त कर दिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने विशेष सीबीआई अदालत से कहा था कि इशरत जहां और तीन अन्य लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मारने वाले पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी जाए।
लेकिन गुजरात सरकार ने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी। गौरतलब है कि इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों पूर्व अधिकारियों को बरी करने की मांग करने वाले आवेदन को भी ठुकरा दिया था। तब अदालत ने सीबीआई से पूछा था कि वो अपना रूख स्पष्ट करें। क्या वो दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति चाहते हैं या नहीं।गुजरात सरकार ने बीते मार्च में सीबीआई की मांग को ठुकरा दिया था। वंजारा और अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए थे।
इन सभी बातों का रुख करते हुए डी.जी वंजारा ने कहा कि आज सरकार ने गुजरात पुलिस की हार होते बचाई है और सच्चे पुलिस अधिकारी को बाइज्जत बरी किया जिससे में सरकार का आभारी हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि इशरत जहां एनकाउंटर केस में फंसे अन्य पुलिस अधिकारीओ को भी सरकार जल्द से रिहा करेगी उस दिन मेरी सच्चाई से जीत होगी। डी. जी वंजारा ने कहा के गुहरात में बने आतंकी हमला को रोकने के लिए और पुलिस अधिकारी होने के नाते हमने ये एनकाउंटर किये।
लेकिन कई सारे लोग इन एनकाउंटरों को फर्जी मानते है लेकिन मेरी दृष्टि से ये एनकाउंटर फर्जी नही सही ते ओर गुजरात पुलिस की शान को ऊंचा रखने के लिए उस समय ये एनकाउंटर करना अत्यंत जरूरी थो सो मेने ओर मेरे अन्य पुलिस साथियो ने ये एनकाउंटर किये। वंजारा पूर्व डीआईजी हैं और एनके अमीन रिटार्यड एसपी है। गौरतलब है कि 15 जून 2004 को मुंब्रा निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को अहमदाबाद के पास पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था।