कभी स्कूल नहीं गई, फिर भी कविताएं लिखती है यह दिव्यांग बेटी

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नूरपुर

अगर मन में जीने की चाह और दिल में उमंग हो तो हम अपनी मेहनत और लगन से हर बुलदियों को छू सकते हैं क्योंकि हमारे हौसले हमें वहां तक ले जाने में पूरा-पूरा साथ देते हैं। अक्सर लोग अपनी कविताओं को शुरू में शौकिया तौर पर लिखते हैं और जाहिर सी बात है कि कविताओं से लोगों को पहचान भी मिल जाती है। अगर कोई कभी स्कूल भी न गया हो और कविता लिखने का हुनर रखता हो तो स्वभाविक रूप से हैरतंगेज लगेगा। जी हां, ऐसी ही लड़की की हम बात कर रहे हैं जोकि कांगड़ा जिला के ज्वाली (दरकाटी) की रहने वाली है। उस लड़की का नाम है वर्षा चौधरी।

हैरानी की बात यह है कि वह कभी स्कूल नहीं गई लेकिन फिर भी कविताएं लिख लेती है। 28 वर्षीय वर्षा बताती है कि वह शारीरिक रूप से अक्षम है इसलिए स्कूल नहीं जा पाई। उसने घर में ही पढ़ना-लिखना सीखा। लगभग 9 वर्ष की उम्र में उसने लिखना शुरू किया। शुरू में जब लिखना नहीं आता था तो वह अपने भाई को बताकर अपने मन के भावों को कागज पर बयां करती थी। फिर धीरे-धीरे लिखना-पढ़ना सीखा। इसके लिए उसकी भाभी ने भी हौसला दिया और प्रेरित किया। वर्षा ने बताया कि मैं कविताएं लिखती हूं और जीवन में चैलेंज लेने के लिए हमेशा तैयार रहती हूं।  मुझे लगता है कि कुछ अच्छा, कुछ क्रिएटिव हमेशा होना चाहिए। बचपन से ही मुझे लिखने का बड़ा शौक था और तभी से शौकिया रूप से लिखती रहती थी। अब तक मैंने 30 कविताएं लिखी हैं।

वर्षा ने बताया कि वह अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहती है। उसने कहा कि जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने या लिखने का मौका मिले तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। वर्षा बताती है कि आप बिना झिझक लिखिए, हर किसी में लिखने की संभावना होती है और उसे व्यक्त करना चाहिए। निश्चित रूप से वर्षा चौधरी एक मिसाल है उन बच्चों के लिए जो  शारीरिक रूप से अक्षम हैं।

वहीं वर्षा चौधरी के पिता बलदेव राज का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी के इलाज के लिए ऑल इंडिया का कोई भी अस्पताल नहीं छोड़ा लेकिन डॉक्टरों को आज तक उसकी बीमारी हाथ नहीं आई। अब हम इसकी सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा एक होनहार बेटी जो बिल्कुल अनपढ़ है लेकिन सब कुछ अंग्रेजी-हिंदी में बोल लेती है। उनका कहना है कि सरकार ने आज तक ऐसी कोई मदद नहीं की। यहां तक कि उसे दिव्यांग पैंशन लगाए भी अभी 1 साल हुआ है लेकिन दुख की बात है कि बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकारें आज तक वर्षा व्हील चेयर तक उपलब्ध नहीं करवा सकीं। वहीं वर्षा चौधरी की माता ने कहा कि उनकी बेटी शुरू से ही पढऩे लिखने की रुचि रखती थी। उसे सिर्फ भाई से ही ज्ञान प्राप्त हुआ है। वह स्कूल आज तक नहीं गई और सरकार ने आज तक उनकी बेटी की ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने यहां के स्थानीय विधायक या पूर्व विधायक पर सिर्फ वोटों की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

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