कोलकाता न्यूज़ : बंगाल सरकार के साथ लगातार जारी तनातनी के बीच एक और अभूतपूर्व कदम उठाते हुए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कोलकाता प्रेस क्लब के सदस्यों के साथ राज्य में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा प्रेस की आजादी पर कथित रोक लगाने पर चर्चा करने की मांग की है। राज्यपाल ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि प्रेस क्लब के एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी) के साथ सोमवार को होने वाली बैठक में ममता सरकार द्वारा कई परेशान करने वाली कार्रवाइयों, मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामलों आदि पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि वॉचडॉग के रूप में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रेस क्लब को मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इधर, कोलकाता प्रेस क्लब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल ने बातचीत की मांग की थी और वे सहमत हुए हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब के एक एग्जीक्यूटिव ने कहा कि राज्यपाल द्वारा इस तरह की बातचीत की मांग प्रेस क्लब के इतिहास में अभूतपूर्व है।
उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब ने ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठाया था, लेकिन राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का आरोप है कि ममता बनर्जी सरकार मीडिया को धमकी दे रही है। धनखड़ का यह कदम उन आरोपों के मद्देनजर आया है कि कुछ केबल-आधारित स्थानीय समाचार चैनल ऑफ-एयर हो गए थे और केबल ऑपरेटरों ने उन्हें बंद कर दिया था। कुछ जिला-आधारित पत्रकारों द्वारा कथित तौर पर फर्जी खबरें फैलाने के बाद यह कदम उठाया गया था। बता दें कि राज्यपाल ने हाल ही में राज्य के गृह सचिव से कोलकाता के हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में एक प्रमुख बंगाली दैनिक के संपादक को बुलाने के बारे में भी जानकारी मांगी थी। कुछ ख़बरों के प्रकाशन को लेकर कई अन्य पत्रकारों से भी पुलिस ने पूछताछ की। हालांकि, संबंधित संगठनों ने कोई मुद्दा नहीं उठाया एवं यहां तक कि अपने समाचार आउटलेट में इससे संबंधित कोई रिपोर्ट भी नहीं प्रकाशित की।
राज्यपाल ने 28 मई को ट्विटर पर लिखा था कि प्रेस की आजादी अमूल्य है। यह हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है और संविधान द्वारा इसकी गारंटी दी गई है। इधर, प्रेस क्लब के साथ राज्यपाल की बैठक को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि अगर प्रेस क्लब ने कोई मुद्दा उठाया होता तो हम जवाब देते। दूसरी ओर, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने धनखड़ के कदम को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पत्रकारों और मीडिया घरानों को बंदूक की नोक पर रखने की कोशिश कर रही है। कई पत्रकारों और संपादकों से पूछताछ की गई। बंगाल में प्रेस को घेरा गया है। सिन्हा ने कहा कि राज्यपाल ने एक प्रशंसनीय कदम उठाया है।