देहरादून
मातृ शक्ति के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखंड में एक बेटी बीते डेढ़ महीने से मां के प्यार को तरस रही है। दून अस्पताल में जन्म लेने वाली इस बच्ची को उसकी मां ही अपनाने को तैयार नहीं थी, क्योंकि उसे लग रहा था कि उसने तो बेटे को जन्म दिया है। अब जबकि डीएनए जांच से साफ हो गया है कि बच्ची के माता-पिता कौन हैं, सवाल यह है कि क्या इस मासूम को वह प्यार मिल पाएगा जिसकी वह हकदार है।
दून अस्पताल में 5 मार्च की सुबह एक ही नाम की दो महिलाओं के प्रसव हुए। अनिल कुमार की पत्नी आरती ने सुबह 9:20 बजे एक बेटे को जन्म दिया तो उमेश शाह की पत्नी आरती ने सुबह 9:50 बजे एक लड़की को जन्म दिया। बच्ची की हालत नाजुक थी, इसलिए स्टाफ ने उसे वॉर्ड में भर्ती करा दिया। कुछ देर बाद जब शाह दंपती बच्चा लेने पहुंचे तो लड़की को देखकर उन्होंने हंगामा शुरु कर दिया। उनका कहना था कि सुबह उनको बताया गया था कि उनका लड़का हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ ने साठ-गांठ कर उनका बच्चा बदल दिया। मामला इतना बढ़ा कि पुलिस से लेकर बाल आयोग तक जा पहुंचा। अंत में आरती नाम की दोनों महिलाओं और दोनों नवजात का डीएनए टेस्ट कराना पड़ा। मामले का फैसला होने तक बच्ची शाह परिवार के पास और बच्चा अनिल कुमार के परिवार के पास रखने का फैसला किया गया। गुरुवार को डीएनए रिपोर्ट आई तो साफ हो गया कि बच्ची उमेश शाह और उनकी पत्नी आरती की ही है, जबकि बेटा अनिल और उनकी पत्नी आरती का है। यानी कि दोनों बच्चे पहले से ही अपनी असली मां के पास हैं।