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Tuesday, April 30, 2024

सुप्रीम कोर्ट को जर्मनी का उदाहरण दे रहे थे वकील प्रशांत भूषण, जज बोले- ये सब यहां काम नहीं करता

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‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) पर्ची वाले मतों का सत्यापन किए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेहद अहम टिप्पणियां कीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत एक विशाल देश है और इस लिहाज से विदेशी तरीके यहां काम नहीं करते हैं। दरअसल याचिकाकर्ताओं ने मतपत्र मतदान प्रणाली के पक्ष में तर्क देने के लिए विदेशी देशों के उदाहरणों का हवाला दिया था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा कि उनके गृह राज्य की जनसंख्या जर्मनी से अधिक है और “यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं करते हैं”।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा, “मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है। हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है। इस तरह सिस्टम को गिराने की कोशिश न करें। ऐसे उदाहरण मत दीजिए। यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं करते।” एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए जर्मनी का उदाहरण दिया था कि वीवीपैट पेपर पर्चियों को गिना जाना चाहिए और ईवीएम रिजल्ट के साथ मिलान किया जाना चाहिए। 

जब जस्टिस दत्ता ने उनसे पूछा कि जर्मनी की जनसंख्या कितनी है, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह लगभग 5 करोड़ है, वहीं भारत में 50-60 करोड़ मतदाता हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि भारत में 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। साथ ही उन्होंने मतपत्र मतदान पद्धति में कमियों को भी जिक्र किया। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, “हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलेट पेपर्स से मतदान होता था तो क्या स्थिति थी। आप भूल गए होंगे, पर हमें सब कुछ याद है।’ 

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‘वीवीपैट’ स्वतंत्र रूप से वोट का सत्यापन करने वाली प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। इसके जरिए मशीन से कागज की पर्ची निकलती है जिसे मतदाता देख सकता है और इस पर्ची को एक सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है तथा विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है।

एडीआर ने न्यायालय से निर्वाचन आयोग और केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है कि मतदाता वीवीपैट के जरिए यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट दर्ज हुआ मान लिया गया है। याचिका में ईवीएम का मिलान उन मतों से करने का अनुरोध किया गया है जिनका मतदान सत्यापित हो गया है और यह सुनिश्चित किया जाए कि मतदाता अपने मत को वीवीपैट पर्ची के जरिये सत्यापित करने में सक्षम हो।

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