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Sunday, April 28, 2024

‘कुल बेरोजगारों में 83 फीसदी युवा’, केंद्रीय मंत्री बोले- अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों पर निर्भर रहा देश, लेकिन अब…

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इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) और इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) द्वारा भारत की रोजगार रिपोर्ट 2024 जारी की गई है। इसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल बेरोजगारों में 83 फीसदी युवा आबादी है। स्टडी में यह भी पता चला है कि साल 2022 में सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की संख्या 54.2% से बढ़कर 65.7% हो गई है। आईएलओ और आईएचडी की इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि छह करोड़ 40 लाख लोगों ने ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन करवाया है। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है।

‘एनडीटीवी’ से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ”34 करोड़ मुद्रा लोन दिए गए, वे भी रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। अब वे नौकरी मांगने वाले से नौकरी देने वाले बन गए हैं।” आईएलओ की बेरोजगारी वाली रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत सालों से अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों पर निर्भर रहा है, लेकिन अब घरेलू एजेंसियों के आंकड़ों पर ध्यान देना चाहिए, जोकि अब सामान रूप सुसज्जित हैं। उन्होंने कहा, ”हमारे पास अब भी गुलाम मानसिकता है, क्योंकि हम विदेशी रेटिंग पर निर्भर कर रहे हैं। हमें इससे बाहर आने और अपने देश के संगठनों पर भरोसा करने की जरूरत है।”

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि साल 2014 में पदभार संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमियों की सहायता के लिए नीतियां भी बनाई हैं, जो एक और तरीका है जिससे सरकार रोजगार पैदा कर रही है। अब लोग स्टार्ट-अप शुरू करने में संकोच नहीं करते हैं। मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं जिन्होंने प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की और भारत के बाहर नौकरी की, अब वापस आ गए हैं और भारत में स्टार्ट-अप चला रहे हैं।

बता दें कि रिपोर्ट में सामने आया है कि कुल बेरोजगार युवाओं में कम से कम माध्यमिक शिक्षा प्राप्त शिक्षित युवाओं का अनुपात साल 2000 में 35.2 प्रतिशत से लगभग दोगुना होकर 2022 में 65.7 प्रतिशत हो गया है। उच्च शिक्षा में बढ़ते नामांकन के बावजूद, गुणवत्ता संबंधी चिंताएं बनी हुई हैं। स्कूल और उच्च शिक्षा स्तरों पर महत्वपूर्ण सीखने की कमी देखी गई है। स्टडी के मुताबिक, साल 2000 और साल 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई, लेकिन कोविड-19 महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट देखी गई। शिक्षित युवाओं ने इस अवधि के दौरान काफी उच्च स्तर की बेरोजगारी का अनुभव किया। रिपोर्ट में कहा गया है, “इससे पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों के शिक्षित लोगों के बीच तेजी से केंद्रित हो गई है।” 

बेरोजगारी पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरा

वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि देश का हर युवा समझ चुका है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रोजगार नहीं दे सकती। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत के कुल कार्यबल में जितने बेरोजगार हैं, उनमें 83 प्रतिशत युवा हैं। कुल बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी 2000 में 35.2 प्रतिशत थी। 2022 में यह 65.7 प्रतिशत यानी लगभग दोगुनी हो गई है।” उन्होंने कहा कि दूसरी ओर प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार कह रहे हैं कि “सरकार बेरोजगारी की समस्या हल नहीं कर सकती।” प्रियंका गांधी ने दावा किया, “यही भाजपा सरकार की सच्चाई है। आज देश का हर युवा समझ चुका है कि भाजपा रोजगार नहीं दे सकती।”

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