नई दिल्ली
दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का दर्जा रखने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के हवा से छोड़े जाने वाले संस्करण का परीक्षण अगले सप्ताह हो सकता है। भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ ने देश की हवाई क्षमता बढ़ाने के लिए इस परीक्षण को किए जाने की पूरी तैयारी कर ली है। परीक्षण के दौरान इस मिसाइल को रूस निर्मित सुखोई एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान से फायर किया जाएगा। ब्रह्मोस के इस संस्करण को डीआरडीओ ने पूरी तरह स्वदेशी तरीके से विकसित किया है।
वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक, इस 290 किलोमीटर मारक क्षमता वाली मिसाइल से जमीन पर लक्ष्य भेदने के विकास में तेजी लाने के लिए बेहद उत्सुक हैं। सूत्रों ने कहा, इस मिसाइल का इस्तेमाल बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक करने के लिए किया जा सकता है, जिसमें इस बार भारतीय विमानों को लक्ष्य भेदने के लिए दुश्मन की सीमा में घुसने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सूत्रों ने कहा कि इस मिसाइल के हवा से छोड़े जाने वाले संस्करण का अगले सप्ताह देश के दक्षिण हिस्से में किया जाएगा, जिससे एसयू-30 लड़ाकू विमान के साथ इस मिसाइल का समन्वय भी साबित हो जाएगा।
वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान की सीमा में बेहद अंदर तक घुसकर बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर एयर स्ट्राइक की थी। इसमें वायुसेना ने मिराज-2000 लड़ाकू विमान से स्पाइस-2000 बमों का इस्तेमाल मदरसे में चल रहे शिविर को ध्वस्त करने के लिए किया था।