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Saturday, May 18, 2024

‘अहंकारी भाषण प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता’, विपक्षी सांसद दानिश अली ने दिया बयान – India TV Hindi

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विपक्षी सांसद दानिश अली ने दिया बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सरकार की योजनाओं की तारीफ की। दावा किया कि भाजपा एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाएगी। इसके बाद उन्होंने विपक्ष पर भी खूब हमले किए। इस कड़ी में उन्होंने विपक्ष की परिवारवाद की नीति का विरोध करते हुए उसे लोकतंत्र के लिए घातक बताया। इसके बाद उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू भारतीयों को आलसी समझते थे। वहीं उन्होंने कांग्रेस पर बयान देते हुए कहा कि पार्टी एक परिवार द्वारा चलाई जा रही है।

दानिश अली का पीएम मोदी पर पलटवार

इस मामले पर अब विपक्षी सांसद दानिश अली का बयान आया है। दानिश अली ने अपने बयान में कहा, ‘इतना अहंकारी भाषण प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता। बहुत अहंकारी भाषण था। देश की जनता अहंकार तोड़ देती है। आप देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में मखौल उड़ाते हैं। आपका तो कोई इतिहास नहीं था। नेहरू जी 9 साल अंग्रेजों की जेल में रहे, आपकी पुरखे तो अंग्रेजों से माफी मांगती रही। आपको अपनी पार्टी के अंदर परिवारवाद नहीं दिखता? देश की महिलाओं के साथ मणिपुर में जो हुआ वो उनको दिखाई नहीं दिया। उनके भाषण में मणिपुर पर एक शब्द नहीं आया। आपकी सरकार रेपिस्ट को बार-बार पेरोल देती है, क्या वे महिला नहीं है जिसका रेप गुरमीत राम रहीम ने किया। आप उसको चुनावी प्रचार करने के लिए 2 महीने का पेरोल देते हो।’

नेहरू पर क्या बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने दिल्ली के लाल किले से कहा था कि हिंदुस्तान में काफी मेहनत की आदत आमतौर पर नहीं है। हम इतना काम नहीं करते थे, जितना यूरोप, चीन और जापान में लोग करते हैं। ये ना समझिए ये जादू से खुशहाल हुईं। वे मेहनत और अक्ल से हुई है। नेहरू जी भारतीयों को आलसी समझते थे। साथ ही उन्होंने आगे कहा कि इंदिरा गांधी की सोच भी इससे अलग नहीं थी। इंदिरा जी ने कहा था कि हमारी आदत ये है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को हेता है तो हम आत्मसंतुष्टि की भावना से भर जाते हैं। लेकिन जब कोई कठिनाई आ जाती है तो हम नाउम्मीद हो जाते हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि पूरे राष्ट्र ने ही पराजय की भावना को अपना लिया है। 

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