नई दिल्ली. शीर्ष स्तर के क्रिकेट में जगह बनाने से कहीं अधिक मुश्किल है इस स्थान को लंबे समय तक बरकरार रखना. कई क्रिकेटर ऐसे हैं जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में धमाकेदार आगाज करते हुए शुरुआती मैचों में जोरदार पारियां खेलीं लेकिन प्रदर्शन में स्थिरता कायम नहीं रख पाने के कारण कुछ समय बाद ही ‘पिक्चर’ से बाहर हो गए. इन क्रिकेटरों में भारत के विनोद कांबली और विजय भारद्वाज का नाम प्रमुख है. इन प्लेयर्स से इतर कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हुए जिनके करियर पर घातक चोट या स्वास्थ्यगत कारणों से असमय ही विराम लग गया.
इनमें से कुछ क्रिकेटरों को मैच के दौरान ही ऐसी चोट लगी जो इनके करियर के लिहाज से घातक साबित हुई और इनका इंटरनेशनल करियर खत्म हो गया. इन प्लेयर्स में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान नरी कांट्रेक्टर प्रमुख हैं जिन्हें वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की गेंद सिर पर लगी थी और बमुश्किल उन्हें बचाया जा सका था. इसके अलावा स्वास्थ्य कारणों से भी कुछ प्लेयर्स के इंटरनेशनल करियर पर ‘ब्रेक’ लग चुका है.नजर डालते हैं ऐसे क्रिकेटरों पर जिनका करियर चोट या स्वास्थ्य कारणों से खत्म हुआ.
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हार्ट में था छेद, ऑपरेशन के बाद करियर पर लगा विराम
जेम्स टेलर (James Taylor) को एक समय इंग्लैंड का भविष्य का बैटर माना जाता था. वनडे में उन्होंने 42.23 के औसत से रन बनाए जिसमें एक शतक शामिल है लेकिन दिल से जुड़ी बीमारी के कारण 26 साल की उम्र में ही उनका करियर खत्म हो गया. जेम्स ने इंग्लैंड की ओर से सात टेस्ट और 27 वनडे खेले और टेस्ट में 26.00 के औसत से 312 और वनडे में 40+ के औसत से 887 रन बनाए जिसमें एक शतक और सात अर्धशतक शामिल रहे. टेलर के दिल में छेद था जिसका पता 2016 में लगा. इसके बाद उनका ऑपरेशन हुआ और किसी तरह जान बची. टेलर बच तो गए लेकिन उनके इंटरनेशनल क्रिकेट करियर पर विराम लग गया. करीब पांच फीट पांच इंच कद के जेम्स को अपने करियर के दौरान कम ऊंचाई के कारण भी आलोचना का सामना करना पड़ा.
इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन तो उनके कटु आलोचक रहे. पीटरसन ने 2014 में लांच हुई ऑटोबायोग्राफी ‘केपी’ में लिखा था, ‘मुझे नहीं लगता कि जेम्स इंग्लैंड की टीम के लिए खेलने लायक था. जेम्स के पिता जॉकी (हॉर्स राइडर) थे और अपनी ऊंचाई के कारण जेम्स भी जॉकी बनने ही लायक थे. हम दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजी आक्रमण का सामना कर रहे थे और जेम्स इसके लिए तैयार नहीं थे.’ पीटरसन ने वर्ष 2012 की इंग्लैंड-दक्षिण अफ्रीका सीरीज में टेलर के प्रदर्शन को लेकर यह विवादित कमेंट किया था. इस सीरीज में जेम्स टेलर भले ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन उन्होंने इसके बाद के अपने प्रदर्शन से केपी को गलत साबित कर दिया. स्वास्थ्य कारणों से इंटरनेशनल करियर खत्म होने के बाद टेलर ने इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड को सिलेक्टर के तौर पर सेवाएं दीं.
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सीने में दर्द के बाद एंजियोप्लास्टी, खत्म हुआ इंटरनेशनल करियर
इंग्लैंड के जेम्स टेलर जैसी ही कहानी पाकिस्तान के आबिद अली (Abid Ali)की है. डोमिस्टिक क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद आबिद को 30 वर्ष के बाद ही इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू का मौका मिल सका. अपने पहले ही टेस्ट और वनडे में शतक जड़कर उन्होंने धमाकेदार आगाज किया लेकिन क्रिकेट से इतर कारणों के चलते 16 टेस्ट और 6 वनडे के बाद ही आबिद के सफर पर ब्रेक लग गया. 16 टेस्ट में चार शतक और तीन अर्धशतक की मदद से 1180 रन (औसत 49.16) उनके नाम पर दर्ज हैं जबकि वनडे में उन्होंने 39.00 के औसत से 234 रन (एक शतक) बनाए.
आबिद दुनिया के इकलौते बल्लेबाज हैं जिसने क्रिकेट के दो फॉर्मेट- टेस्ट और वनडे के डेब्यू मैच में सैकड़ा जड़ा है. दाएं हाथ के इस बैटर के करियर को उस समय झटका लगा जब दिसंबर 2021 में कायदे-आजम ट्रॉफी के एक मैच के दौरान उन्हें दिल की गंभीर बीमारी के बारे में पता चला.आबिद ने सीने में दर्द की शिकायत की जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम का पता चला. उनकी एंजियोप्लास्टी हुई. हालांकि वे अब डोमिस्टिक क्रिकेट में वापसी कर चुके हैं लेकिन 36 वर्ष से अधिक उम्र के इस धाकड़ बैटर की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की संभावना लगभग खत्म है.
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बाउंसर पर लगी थी चोट, खत्म हुआ था नरी का करियर
नरी जमशेद जी कांट्रेक्टर उर्फ नरी कांट्रेक्टर (Nari Contractor) की गिनती भारत के बाएं हाथ के बेहतरीन बैटरों में की जाती थी. 31 टेस्ट में 31.58 के औसत से उन्होंने 1611 रन बनाए जिसमें एक शतक शामिल है. 12 टेस्ट में नरी ने भारतीय टीम की कप्तानी भी की. अपनी कप्तानी में खेले गए एक मैच के दौरान सिर पर लगी घातक चोट ने उनके इंटरनेशनल करियर को खत्म कर दिया. 1962 में वेस्टइंडीज दौरे में एक मैच के दौरान तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ का बाउंसर नरी के सिर पर लगा था. सिर पर लगी चोट के कारण नरी करीब छह दिन तक बेहोश रहे थे. चोट के कारण इमरजेंसी में सर्जरी करनी पड़ी थी और कड़ी मशक्कत के बाद उनको बचाया जा सका था. भारत और वेस्टइंडीज के प्लेयर ने नरी की जान बचाने के लिए रक्तदान किया था. जीवट के धनी नरी ने इस हादसे के करीब दो साल बाद फर्स्ट क्लास क्रिकेट में वापसी की हालांकि भारतीय टीम में वे फिर कभी नहीं खेल सके.
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सबा करीम की आंख में लगी थी गेंद
बिहार के सैयद सबा करीम (Saba Karim) की गिनती 1990 के दशक में देश के अच्छे विकेटकीपर बैटर में होती थी. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 56.66 के औसत से 7310 रन रन बनाए जिसमें 22 शतक शामिल रहे. हालांकि इंटरनेशनल क्रिकेट में करीम को बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली. विकेटकीपर बैटर की हैसियत से वे एक टेस्ट (15 रन)और 34 वनडे (15.73 के औसत से 362 रन) ही खेल सके. मैदान पर हुए एक हादसे ने करीम के इंटरनेशनल करियर को खत्म कर दिया. मई 2000 में भारत-बांग्लादेश के ढाका में हुए मैच के दौरान अनिल कुंबले की एक गेंद उछलकर विकेटकीपिंग कर रहे करीम की आंख पर लगी और उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा. इस मैच में बाकी समय राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपिंग की. आंख पर लगी इस चोट से सबा के ‘विजन’ पर असर पड़ा. आंख की सर्जरी के बाद उन्होंने नवंबर 2000 में बांग्लादेश के खिलाफ एक टेस्ट खेला और यही उनके करियर का आखिरी इंटरनेशनल मैच साबित हुआ. इस चोट ने उनके करियर को खत्म कर दिया.
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आंख पर ‘बेल’ लगी, खत्म हुआ बेहतरीन विकेटकीपर का करियर
मार्क बाउचर (Mark Boucher) की गिनती दक्षिण अफ्रीका के सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में होती है. बाउचर ने दक्षिण अफ्रीका की ओर से 147 टेस्ट, 295 वनडे और 25 टी20 मैच खेले. टेस्ट क्रिकेट में 5515 और वनडे में 4686 रन उनके नाम पर दर्ज हैं. दुनिया के सबसे कामयाब विकेटकीपरों में से एक बाउचर ने टेस्ट क्रिकेट में 555 (532 कैच और 23 स्टंपिंग) और वनडे में 425 शिकार (403 कैच और 22 स्टंपिंग) किए लेकिन 2012 में एक प्रैक्टिस मैच के दौरान आंख पर लगी चोट ने उन्हें रिटायर होने पर मजबूर कर दिया. दक्षिण अफ्रीका टीम के इंग्लैंड दौरे में समरसेट के खिलाफ प्रैक्टिस मैच के दौरान विकेटकीपिंग के दौरान स्टंप्स की बेल उछलकर बाउचर की आंख पर लगी जिसके कारण उनको सर्जरी करानी पड़ी. इसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया.
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FIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 08:01 IST