हैदराबाद/पटना
कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है। ऐसे में दिल्ली, मुंबई समेत देश के कुछ बड़े शहरों से रिपोर्ट्स आईं कि वहां से प्रवासी मजदूर अपने अपने गृह राज्यों को लौटना चाहते हैं। कुछ जगह तो मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल ही निकल पड़े। हैदराबाद में भी बिहार मूल के सैकड़ों मजदूर अपने घरों को लौटना चाहते हैं। ये संदेशों के जरिए अपना दर्द बयान कर रहे हैं। बड़े शहरों में इन मजदूरों की ज़िंदगी दिहाड़ी के आधार पर होने वाली कमाई पर ही टिकी है। लॉकडाउन की वजह से ये कमाई बंद हो गई है। ऐसे में इन्हें रहने और खाने के ही लाले पड़ गए है’। सरकार की ओर से इन्हें खाना और बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। लेकिन ये मजदूर ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही बताते हैं। इन मजदूरों ने मोबाइल से वीडियो संदेश में कहा कि वो शहर के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं और उन्हें मदद की ज़रूरत है। बेगमपेट एरिया में खुद को फंसा बताते हुए दिहाड़ी मजदूर बालम राय ने कहा, “मैं बिहार और तेलंगाना दोनों राज्यों की सरकारों से गुहार लगाता हूं कि हमारे लिए खाने और अन्य ज़रूरी सामान की व्यवस्था कराई जाए। लॉकडाउन की अवधि बढ़ जाने की वजह से हमारी मुश्किलें बढ़ गई हैं। मदद न मिली तो नहीं जानते हमारा क्या होगा।”
प्रसांति नगर में रहने वाले एक और मजदूर चौधरी ने सरकार से मांग करते हुए कहा, “हम लोगों को बस बिहार में अपने घरों तक पहुंचने का इंतज़ाम करा दिया जाए।” चेरलापल्ली इलाके से अमित और चारमीनार से प्रताप ने कहा कि तेलंगाना सरकार की ओर से मजदूरों को 500 रुपए नकद और 12 किलो चावल देने का वादा किया गया था। इसके लिए आधार कार्ड की जानकारी भी अधिकारियों ने ली थी। लेकिन अभी तक ये मदद नहीं मिली।