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Saturday, May 18, 2024

देश से छावनी एक्ट हटाया जाना जरूरी : लेफ्टिनेंट जनरल एमसी भंडारी

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अल्मोड़ा

रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल एमसी भंडारी (रि.) का कहना है कि छावनी एक्ट लगभग पूरे विश्व में समाप्त हो चुका है, लेकिन रानीखेत सहित देश की 62 छावनियों में आजादी के 72 साल बाद भी लोग इस कानून के कारण अपने मौलिक और संपत्ति के अधिकारों से वंचित हैं। कहा कि यह एक्ट भारत के अलावा, पाकिस्तान, वर्मा, श्रीलंका, नेपाल में लागू है, जिसे यथाशीघ्र हटाने की जरूरत है। देश की 62 छावनियों के संरक्षक होने के नाते वह इनमें रहने वाले करीब 35 लाख लोगों के मौलिक अधिकारों को लेकर काफी चिंतित हैं। लोकतंत्र में हर किसी को अपने हिसाब से जीवन जीने का अधिकार है लेकिन छावनियों के अनावश्यक दखल से इनमें रहने वाले लोग परेशान हैं। इसी के चलते वे सिविल एरिया को छावनियों से हटाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। कहा कि उन्हीं के प्रयासों से हाईकोर्ट ने रानीखेत छावनी परिषद द्वारा लोगों के लिए भेजे गए करोड़ों के नोटिसों पर स्टे लिया है।

सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि सेना भी कह चुकी है कि मिलिट्री एरिया वाले भाग को छोड़कर बाकी एरिया को छावनी से हटाने में कोई दिक्कत नहीं है। यही नहीं, इस बारे 1954 में ससंद में भी प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसमें अंग्रेजी शासकों द्वारा बनाए गए नियमों के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे समाप्त करने की बात कही गई थी, लेकिन अफसोस है कि इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। देश के 62 छावनियों की अगुवाई करने वाले ऑल कैंट सिटिजन वेलफेयर ऐसोसिएशन के प्रयासों से रक्षा मंत्रालय द्वारा अमित बोस की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी ने भी छावनी एक्ट को समाप्त करने की सिफारिश की है। बताया कि 1836 में अंग्रेजों का बनाया कानून आज भी चल रहा है 1924 में छावनी एक्ट में कुछ संशोधन हुआ था लेकिन 2006 में इसे और भी खतरनाक बना दिया गया। बताया कि संविधान की धारा 73 और 74 में स्पष्ट उल्लेख है कि नागरिक पंचायत के अधीन रहेंगे, लेकिन कैंट एक्ट में इसकी भी खिल्ली उड़ाई जा रही है ।

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