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Friday, May 17, 2024

बंगाल की इस सीट पर कभी वामपंथियों का बोलबाला, 2019 में भाजपा जीती; रोचक है इतिहास

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West Bengal Asansol Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दो चरणों का मतदान हो चुका है। आगामी 7 मई को तीसरे चरण का मतदान किया जाना है। पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा पूरा जोर लगा रही है कि 2019 से बेहतर प्रदर्शन कर सके। उधर, ममता बनर्जी की टीम की पूरी कोशिश है कि वह अपने गढ़ में भाजपा को बुरी तरह हराए। इस बार लोकसभा चुनाव में आसनसोल पश्चिम बंगाल की हॉट सीटों में एक है। इसका इतिहास काफी रोचक है। यह सीट कभी माकपा का गढ़ हुआ करती थी। अब इस सीट पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। 2019 में भाजपा जरूर जीती लेकिन, 2022 उपचुनाव में टीएमसी बाजी मार गई। इस सीट पर 13 मई को मतदान होना है।

आसनसोल लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। बाबुल सुप्रियो के भाजपा छोड़ने के बाद सीपीआई के इस किले में टीएमसी ने 2022 के उपचुनाव में सेंध लगाई। अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा इस सीट पर विजयी हुए। टीएमसी ने एक बार फिर उन पर दांव लगाया है। वहीं उप-चुनाव में सीट गंवाने वाली भाजपा ने जीत पक्की करने के लिए भाजपा नेता एसएस आहलूवालिया को मैदान में उतारा है। दोनों दल दावा कर रहे कि वे इस बार रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज करेंगे।

आहलूवालिया पर भाजपा को कितना विश्वास

एसएस आहलूवालिया 2014 के आम चुनाव में दार्जलिंग और 2019 के चुनाव में बर्दवान-दुर्गापुर सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि असानसोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात सीटें आती हैं। इसमें से पांडवेश्वर, रानीगंज, जमूरिया, आसनसोल उत्तर, बारबानी पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। वहीं दो सीटें कुल्टी व आसनसोल दक्षिण पर भाजपा का कब्जा है।

शत्रुघ्न सिन्हा पर ममता को पूरा भरोसा

उधर, आसनसोल से चुनाव लड़ रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि जनता मुझे रिकॉर्ड बहुमत से संसद पहुंचाएगी। मेरी जीत का पिछला रिकॉर्ड भी इस बार टूट जाएगा। आसनसोल संसदीय क्षेत्र से लगातार पिछड़ रही तृणमूल की जीत का सपना शत्रुघ्न सिन्हा ने ही साकार किया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने विजेता बनने के लिए काफी मेहनत की थी। हालांकि भाजपा ने यहां बाजी मार ली थी।

रोचक रहा है इतिहास

सीपीआईएम के गढ़ में तृणमूल की सेंध सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था। 1957 और 1962 का चुनाव कांग्रेस ने 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जीती थी। कांग्रेस चार जबकि सीपीअईएम नौ बार जीती है। 1989 से 2009 तक लगातार सात बार सीपीआईएम जीती। भाजपा के टिकट पर 2014 और 2019 का चुनाव बाबुल सुप्रियो जीते। सुप्रियो के भाजपा छोड़ने के बाद सीपीआईएम के किले में तृणमूल ने 2022 के उपचुनाव में पहली बार सेंध लगाई और शत्रुघ्न सीट से सांसद चुने गए।

सुप्रियो दो बार भाजपा के टिकट पर जीते बाबुल सुप्रियो मार्च 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने इन्हें आसनसोल से मैदान में उतारा और इन्होंने तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार डोला सेना को हरा दिया। केंद्र सरकार में इन्होंने शहरी विकास और आवास और शहरी कार्य मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय संभालने की जिम्मेदारी भी संभाली। 2019 की सरकार में इन्हें पर्यावरण राज्य मंत्री बनाया गया। 31 जुलाई 2021 को इन्होंने पार्टी से इस्तीफे की घोषणा कर दी और 18 सितंबर 2021 को अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल का दामन थाम लिया। 16 अप्रैल 2022 को बालीगंज विधानसभा सीट से विधायक बने और ममता सरकार ने इन्हें मंत्री बनाया।

भाजपा ने भोजपुरी संगीतकार पवन सिंह को मैदान में उतारा था लेकिन बाद में उन्होंने नाम वापस ले लिया था।

मौजूदा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा

शत्रुघ्न सिन्हा 1992 के लोकसभा उप-चुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ पहली बार चुनाव लड़े थे, इस चुनाव में वह 25 हजार मतों से हार गए थे। 1996 से 2002 और 2002 से 2006 तक राज्यसभा सांसद भी रहे, अटल सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं।

आहलूवालिया

आसनसोल से एसएस आहलूवालिया के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने जीत के लिए जन्मभूमि का कार्ड चल दिया है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल मेरी जन्म भूमि हैं। उन्होंने कहा है कि ये लड़ाई दो लोगों के बीच नहीं, दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।



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