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Monday, May 13, 2024

एक खेमा बहनजी का भी है… सोनिया, राहुल और प्रियंका समेत 5 नेताओं पर खूब बरसे संजय निरुपम

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कांग्रेस छोड़ने के बाद संजय निरुपम ने पार्टी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस अब दिशाहीन पार्टी हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी में अलग-अलग खेमों की भी बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में इस दौरान 5 पावर सेंटर हैं। ये सभी सेंटर आपस में टकराते हैं और वो लोग तकलीफ में रहते हैं, जो किसी के साथ नहीं हैं। पहला सेंटर सोनिया गांधी का है, दूसरा राहुल गांधी और तीसरा दरबार बहनजी यानी प्रियंका गांधी का है। इसके बाद चौथा पावर सेंटर मल्लिकार्जुन खरगे का है। इसमें तो वो लोग हैं, जिनके पास कोई अनुभव ही नहीं है। अचानक ये लोग खरगे जी के साथ जुड़कर हाईकमान बन गए हैं। 

निरुपम ने कहा कि एक और खेमा केसी वेणुगोपाल का है। वे सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करते हैं। इन सभी लोगों के चलते राज्यों में बैठे नेताओं को दिक्कत आ रही है। मैं बीते कई सालों से सब्र कर रहा था, लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट गया है। संजय निरुपम ने कहा कि इसमें अब वैचारिक द्वंद्व दिख रहा है। कांग्रेस सेकुलरिज्म की बात कहती है, जो बुरी बात नहीं है। इसे महात्मा गांधी लेकर आए थे, जिसमें किसी धर्म का विरोध नहीं है। लेकिन नेहरू जी का जो सेकुलरिज्म है, उसमें धर्म का विरोध शुरू हो गया। 

संजय निरुपम कांग्रेस पर भड़के, आज शिंदे सेना में होंगे शामिल

उन्होंने कहा कि जैसे सभी विचारधाराओं की एक टाइम लिमिट होती है, उसके बाद वह मर जाती है। ऐसे ही कम्युनिज्म खत्म हो गया। इसी तरह अब नेहरूवादी सेकुलरिज्म की भी उम्र खत्म हो चुकी है। पर कांग्रेस इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। इसे सबसे तेजी से लेकर चलने वाले लेफ्टिस्ट हैं और वे खत्म हो चुके हैं। राहुल गांधी के आसपास बड़े पैमाने पर वामपंथी घूम रहे हैं। यही वे लोग हैं, जो रामलला के विराजमान होने का सिरे से विरोध करते हैं। कई लोगों को रामलला विराजमान के कार्यक्रम में बुलाया गया था। 

राम मंदिर का न्योता खारिज करने पर भी उठाए सवाल

कई ऐसे लोग थे, जो नहीं गए तो विनम्रतापूर्वक कहा कि हम नहीं जा पाएंगे। लेकिन अकेली कांग्रेस ऐसी थी, जिसने न सिर्फ न्योते को खारिज किया बल्कि धर्म पर ही सवाल उठा दिए। आज हालात ऐसे हैं कि हिंदुस्तान पूरी तरह से धार्मिक हो गया है। आज बड़े-बड़े नेता और कारोबारी गर्व से मंदिर जाते हैं। इसमें यह नहीं कहा जा रहा है कि दूसरे धर्म से नफरत करिए। दूसरे धर्मों के लोग भी अपनी आस्था को मान ही रहे हैं। 



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