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Sunday, May 19, 2024

हरियाणा के चुनावी रण में कोई फैक्टर नहीं, उम्मीदवारों की छवि आएगी काम

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चंडीगढ

हरियाणा के लोकसभा चुनावी रण में कोई फैक्टर नहीं बल्कि उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि काम आएगी। वोटरों के तेवरों से तो ऐसा ही दिखाई दे रहा है, क्योंकि इस बार प्रत्याशियों को गांवों और शहरों में वोटरों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। इस बार न पिछली बार की भांति मोदी लहर दिखाई दे रही है और न ही कांग्रेस का पहले जैसा विरोध है। इनैलो बिखराव की स्थिति झेल रही है तो ऐसे में मतदाताओं का मूड़ भांपना जहां टेढ़ी खीर है तो वहीं किसी बड़े नेता के नाम से नैया पार लगाने की सोच रहे प्रत्याशियों के सपनों पर पानी फिर सकता है। भाजपा के लिए 7 से ज्यादा सीटें बढ़ाना, कांग्रेस के लिए बाप-बेटे की सीट को बचाना तो इनैलो के लिए सिरसा के गढ़ को बचाना, जजपा व आप के लिए हिसार और फरीदाबाद में अच्छा प्रदर्शन चुनौती बना हुआ है।

जब चुनाव में कोई फैक्टर न होकर प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि मुद्दा बन जाए तो चुनाव परिणाम का आकलन करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। हालांकि चुनाव में इस बार भी भाजपा मोदी फैक्टर को भुना रही है लेकिन पहले जैसी लहर न होने के चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल को शहरों और गांवों में पार्टी प्रत्याशियों की सफलता के लिए दिन-रात एक करना पड़ रहा है। भाजपा के लिए 7 का आंकड़े को बढ़ाना चुनौती है, क्योंकि भाजपा ने गत चुनाव में 7 सीटें हासिल की थीं। कांग्रेस में रोहतक से दीपेन्द्र हुड्डा और सोनीपत से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने सभी दिग्गजों को चुनावी समर में उतारा हुआ है लेकिन फिर भी यही दो सीटें हॉट बनी हुई हंै। दोनों कांग्रेस नेता अपने-अपने कार्यों की उपलब्धियों को लोगों के समक्ष बता रहे हैं कि उन्होंने रोहतक तथा सोनीपत क्षेत्र के विकास के लिए क्या-क्या किया? यहां पर भी चुनाव प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि पर टिका हुआ दिखाई देता है।

इस बार लोकसभा चुनाव में जेजपी व आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। जेजेपी 7 और आप 3 सीटों पर ताल ठोक रही है। जेजेपी का भाविष्य हिसार व सोनीपत के प्रदर्शन पर टिका हुआ है, क्योंकि हिसार से दुष्यंत और सोनीपत से दिग्विजय चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं आप के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद फरीदाबाद से चुनावी समर में उतरे हुए हैं। दुष्यंत को हिसार में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का व्याख्यान करना पड़ रहा है तो वहीं जयहिंद दिल्ली सरकार के कामों की तुलना कर रहे हैं।  चुनाव परिणाम कुछ भी रहे लेकिन यहां पर लोग प्रत्याशियों की छवि को लेकर चर्चा जरूर कर रहे हैं।

बिखराव के बाद इनैलो दोबारा ताकत हासिल करने के लिए लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर ताल ठोक रही है लेकिन सिरसा तथा कुरुक्षेत्र का प्रदर्शन इनैलो के लिए संजीवनी का काम करेगा। इनैलो ने सिरसा से अपने सांसद को ही चुनावी समर में उतारा है तो वहीं कुरुक्षेत्र से अभय चौटाला ने अपने पुत्र अर्जुन चौटाला पर दाव खेला है। इनैलो का पूरा फोकस भी यही पर लगा हुआ है।

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