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Sunday, May 19, 2024

मंदिर बड़ा काम, पर रोजगार के मामले में धड़ाम; जनता ने बताया, मोदी सरकार ने सबसे अच्छा क्या किया

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अयोध्या में राम मंदिर संभवतः सबसे ज्वलंत मुद्दा है जिसने तीन दशकों से अधिक समय से भारत की राजनीति को आकार दिया है। अब इसी मुद्दे पर सवार होकर केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर से चुनावी फतेह हासिल करना चाहती है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक ताजा सर्वे में भाजपा को खुश कर देने वाले परिणाम सामने आए हैं। हालांकि सर्वे के मुताबिक, कुछ चुनौतियां भी हैं जिनका नरेंद्र मोदी सरकार को सामना करना पड़ सकता है। 

लोकनीति-सीएसडीएस द्वारा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दो महीने से अधिक समय बाद यह सर्वे किया गया है। हालांकि अभी भी लोगों के अंदर राम मंदिर को लेकर एक खुश कर देने वाली भावना है जो संभवत: भाजपा के लिए अच्छी खबर है। आइए जानते हैं कि सर्वे में शामिल मतदाता मोदी सरकार के किस काम से खुश हैं और किस काम से नाराज हैं। 

सर्वे में शामिल अधिकांश लोग मोदी सरकार को ‘एक और मौका देने’ के इच्छुक दिखे। तीसरे कार्यकाल की चाह रखने वाली सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हालांकि, सर्वे में शामिल लोगों का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जो इस सरकार को एक और मौका देने के लिए तैयार नहीं है। 44 फीसदी लोग चाहते हैं कि यह सरकार दोबारा चुनी जाए, वहीं 39% नहीं चाहते कि सरकार दोबारा चुनी जाए। यानी मार्जिन बेहद कम है।

मोदी सरकार के सबसे अच्छे काम

अच्छे काम के लिए 42 फीसदी लोग चाहते हैं कि मोदी सरकार फिर से आए। वहीं सर्वे में शामिल 23 फीसदी लोगों ने माना कि राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार का सबसे अच्छा काम है। रोजगार के मुद्दे पर मात्र 9 फीसदी लोग मोदी सरकार को पसंद करते हैं। गरीबी हटाने के मुद्दे पर 8 फीसदी लोग मोदी सरकार को पसंद करते हैं। 

मोदी सरकार को नापसंद करने के कारण

लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के मुताबिक, एक बड़ा तबका है जो बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार के खफा है। सर्वे में शामिल 24 फीसदी लोग बेरोजगारी बढ़ने के चलते मोदी सरकार को पसंद नहीं करते हैं। वहीं इतने ही प्रतिशत लोग महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार से नाराज हैं। वहीं 10 फीसदी लोगों का मानना है कि गरीबी कम करने को लेकर मोदी सरकार ने न के बराबर काम किया है। वर्तमान सरकार को न चुनने के कारणों में 32 फीसदी लोगों ने बढ़ती बेरोजगारी का हवाला दिया। वहीं 20 फीसदी लोगों ने बढ़ती महंगाई का हवाला दिया। 11 फीसदी लोगों ने घटती आय का हवाला दिया। 



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