नई दिल्ली/चेन्नई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री एवं अन्नाद्रमुक नेता जे. जयललिता की मौत के मामले में जस्टिस अरुमुगासामी कमेटी की जांच कार्यवाही पर रोक लगा दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपोलो अस्पताल की याचिका पर यह आदेश जारी किया। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में दिसंबर, 2016 में हुई जे. जयललिता की मौत के कारणों की जांच के लिए तमिलनाडु सरकार ने इस न्यायिक आयोग का गठन किया था। इससे पहले चार अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता की मौत के मामले में जारी न्यायिक जांच पर अपोलो अस्पताल की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। अपोलो अस्पताल ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच पर स्टे लगाने की गुजारिश के साथ अपील दाखिल की थी।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों को आयोग के समक्ष उपस्थित होने से छूट दी जाए। याचिका में यह भी गुजारिश की गई थी कि अन्नाद्रमुक नेता की मौत की जांच के लिए पैनल के बजाए 23 डॉक्टरों का एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए। अस्पताल ने दावा किया है कि सरकार की ओर से गठित किया गया जांच आयोग पूर्वाग्रह से ग्रसित है। इस जांच कार्यवाही से अस्पताल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। आयोग की ओर से जारी जांच प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। जांच आयोग के दायरे की शर्तों का विवरण जारी करते हुए तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि आयोग अस्पताल से जुड़ी विभिन्न परिस्थितियों व हालात के बारे में जांच करेगा। अपोलो अस्पताल ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि उसे लगता है कि आयोग अपने दायरे से बाहर जाकर काम कर रहा है।
अस्पताल की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने अपने आदेश में तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करते हुए जांच आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दिया। सनद रहे कि जयललिता को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में 22 सितंबर 2016 को भर्ती कराया गया था। यहां पर उनका 75 दिनों तक इलाज चला और पांच दिसंबर 2016 को कार्डिक अरस्ट के चलते उनकी मौत हो गई थी।