मुंबई समाचार
महाराष्ट्र बृहन्मुंबई महानगर पालिका के अनुसार कोरोना वायरस के मद्देनजर ग्रेटर मुंबई नगर निगम ने जिन कर्मचारियों के अनुबंध समाप्त होने वाले थे उनके अनुबंध की अवधि बढ़ाने के लिए विभिन्न अस्पतालों के सभी डीन और चिकित्सा अधीक्षकों को अधिकृत किया है। महाराष्ट्र आई केंद्रीय टीम ने 15 मई तक राज्य में कोविड-19 के रोगियों की जितनी संख्या का अनुमान लगाया है, उसने महाराष्ट्र सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं। राज्य सरकार अभी से लॉक डाउन अवधि तीन मई से भी आगे बढ़ाने पर विचार करने लगी है। महाराष्ट्र में 11 अप्रैल तक कोरोना पॉजिटिव के सिर्फ 1,574 मामले सामने आए थे और इससे 110 लोगों की मृत्यु हुई थी। लेकिन 22 अप्रैल को रोगियों की संख्या बढ़कर 5,649 एवं मौतों की संख्या 269 हो गई है।
अकेले मुंबई में अब तक इस बीमारी से 151 लोग मर चुके हैं। मंगलवार को मुंबई आई केंद्रीय टीम ने संभवतः रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ही 15 मई तक यह संख्या लाख में पहुंच जाने की आशंका जताई है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन इस आशंका ने राज्य सरकार को चिंता में अवश्य डाल दिया है। क्योंकि मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, पालघर, नई मुंबई, ठाणे, रायगढ़, पुणे एवं पिंपरी-चिंचवड़ इलाके हॉट स्पॉट में आते हैं। 13,500 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र में करीब चार करोड़ की आबादी बसती है। इसके अलावा मालेगांव जैसे क्षेत्र की गिनती भी कोविड-19 के हॉट स्पॉट में होने लगी है।
केंद्रीय टीम ने आज एशिया के सबसे बड़े झोपड़पट्टी क्षेत्र धारावी का भी दौरा किया। मुंबई में धारावी जैसी और भी कई सघन झोपड़पट्टियां हैं, जहां से बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव रोगी सामने आ रहे हैं। इन झोपड़पट्टियों में रहन-सहन की परिस्थिति भी कोरोना संक्रमण को और घातक बना रही है। यहां छोटी-छोटी खोलियों (कमरों) में एक साथ आठ-दस लोगों को रहना पड़ता है। इन्हें सार्वजनिक शौचालयों का भी उपयोग करना पड़ता है। ज्यादातर अन्य प्रदेशों के प्रवासी श्रमिक ही इन झोपड़पट्टियों में रहने को विवश हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में बढ़ता संक्रमण इन प्रवासियों की व्यग्रता बढ़ाता दिखा रहा है। राज्य सरकार भी समझ रही है कि यदि इन झोपड़पट्टियों में संक्रमण ने विकराल रूप लिया तो संभालना कठिन हो जाएगा।
हालांकि महाराष्ट्र कोरोना की जांच में अभी देश भर में सबसे आगे चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के अनुसार अब तक महाराष्ट्र में 98000 से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं। कुछ शर्तों के साथ आईसीएमआर ने महाराष्ट्र को 75000 रैपिड टेस्ट की भी अनुमति दे दी है। लेकिन महाराष्ट्र में बढ़ती रोगियों की संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने पीपीई किट, वेंटीलेटर इत्यादि की कमी का मुद्दा भी केंद्रीय समिति के सामने उठाय