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शेखर सुमन ने कहा, “वह दिन आ गया जब हमें उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया. वह बेजान था, वह हमें छोड़कर चला गया था. मैं उसके साथ, उसके शरीर के साथ, पूरी रात, पूरे दिन लेटा रहा और बहुत रोया. अलका भी बहुत रोई, लेकिन आख़िरकार वह संभल गई.”