सोशल मीडिया के मौजूदा दौर में लग्जरियस लाइफस्टाइल को काफी प्रमोट किया जाता है. कई सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स का पूरा करियर इन्हीं तरह के वीडियोज से चलता है, जिसमें वह लुई विटॉन और शनैल के प्रोडक्ट्स दिखा कर यूजर्स के बीच चर्चा बटोरते रहते हैं. यंग जनरेशन को इस तरह के वीडियोज काफी पसंद आते हैं. जहां कई लोग लग्जरियस ब्रांड के कपड़े, जूते और कार अफॉर्ड करने की स्थिति में नहीं होने के बावजूद अपना स्टेटस ऊंचा करने के लिए खरीदारी करते हैं. वहीं एडलवाइस की सीईओ राधिका गुप्ता पैसे होने के बावजूद लग्जरी कार नहीं खरीदती हैं. हालांकि, एक वक्त ऐसा भी था जब लग्जरियस प्रोडक्ट्स नहीं होने के कारण उन्हें असुरक्षा महसूस होती थी.
‘मूल्यह्रास से लगता है डर’
एडलवाइस म्यूचुअल फंड की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राधिका गुप्ता ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में बताया कि, वह लक्जरी कारों को खरीदने में सक्षम होने के बावजूद उन्हें क्यों नहीं खरीदती हैं. राधिका ने बताया कि, वह हालांकि हाई-एंड वाहनों की सराहना करती है, लेकिन उनके मूल्यह्रास से वह भयभीत हो जाती है. लग्जरी कार की जगह इनोवा चलाना उन्हें बेहतर विकल्प लगता है. भारत की सबसे युवा सीईओ में से एक राधिका गुप्ता ने बताया कि, अब उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए लग्जरियस वस्तुओं को खरीदने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है. हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब डिजाइनर वस्तुओं का मालिक ना होने के कारण वह असुरक्षित महसूस करती थीं.
‘लक्जरी कार खरीदने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकती’
पॉडकास्ट में राधिका गुप्ता ने कहा, “मैं खुद को एक लक्जरी कार खरीदने के लिए तैयार नहीं कर सकती. मैं इसे खरीदने में सक्षम हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती. हर बार जब मैं बोनस के साथ कार खरीदने के बारे में सोचती हूं, तो मैं खुद को याद दिलाती हूं कि कार एक मूल्यह्रास संपत्ति है. वैसे तो मैं गाड़ी भी नहीं चलाती हूं, लेकिन जैसे ही मैं किसी लग्जरी कार को बाहर निकालती हूं, इसका 30 प्रतिशत मूल्य खत्म हो जाता है.”
उन्होंने 18 साल पहले की बात याद करते हुए बताया कि, कैसे जब वह कॉलेज से निकली थीं, तब उन्हें असुरक्षित महसूस होता था, जब लोग उनके पास महंगी वस्तुओं की कमी को लेकर प्वाइंट आउट करते थे. राधिका ने पॉडकास्ट में बताया, “अब अगर कोई पूछता है कि मैं इनोवा क्यों चलाता हूं तो मैं आत्मविश्वास से कह पाती हूं, ‘मेरी जिंदगी, मेरी पसंद.’ मुझे अब कुछ भी साबित करने की जरूरत महसूस नहीं होती.’
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