Syria Violence: सीरिया में अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थक और सुरक्षा बलों के बीच भीषण झड़प और हिंसा का दौर जारी है. बीते दो दिन की हिंसा में सीरिया में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है. युद्ध निगरानी संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (Syrian Observatory for Human Rights) ने एक रिपोर्ट में एक हजार से अधिक लोगों के मारे जाने की बात कही है. संस्था का मानना है कि 14 साल पहले सीरिया में शुरू हुए संघर्ष के बाद की यह सबसे घातक घटनाएं है. रिपोर्ट का दावा है कि सीरिया के तट शहर में गुरुवार को हिंसक झड़पें शुरू हुईं और इसके बाद हिंसा फैल गई है.
745 आम नागरिकों को नजदीक से मारी गई गोली
सीरिया में शुरू हुई इस हिंसा ने नई सरकार के लिए चुनौती बढ़ा दी है. सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के रिपोर्ट में कहा कि दो दिन की हिंसा में जिन हजार से अधिक लोगों की मौत हुई, उसमें 745 आम नागरिक हैं, जिनमें से ज्यादातर को नजदीक से गोली मारी गई.
लातकिया में बिजली-पानी की सप्लाई काटी
इस हिंसा के भीषण दौर के कारण लातकिया शहर (Latakia) के आसपास के बड़े इलाकों में बिजली और पीने का पानी की सप्लाई काट दी गई है. बताते चले कि तीन महीने पहले सीरिया के विद्रोहियों ने असद को हटाकर सत्ता संभाली थी.
सरकार ने कहा है कि सरकारी सुरक्षा बल असद की सेना के बचे हुए लोगों के हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर रहे थे. सीरियाई सरकार ने बड़े पैमाने पर हिंसा के लिए व्यक्तिगत कार्रवाइयों को जिम्मेदार ठहराया.
सुन्नी और असद समर्थक अलावी समूहों के बीच झड़प
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान सीरियाई सरकार के प्रति वफादार सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों ने असद के अल्पसंख्यक अलावी संप्रदाय के सदस्यों के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई में हत्याए की. अलावी दशकों से असद के समर्थक थे. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बंदूकधारियों ने अलावी लोगों को सड़कों पर या उनके घरों के दरवाजे पर गोली मार दी, जिनमें से ज्यादातर पुरुष थे.


सीरिया के तटीय क्षेत्र के निवासियों के हवाले से बताया गया कि अलावी लोगों के कई घरों को लूट लिया गया और फिर अलग-अलग इलाकों में आग लगा दी गई. उन्होंने कहा कि हजारों लोग सुरक्षा के लिए पास के पहाड़ों पर भाग गए हैं.
बनियास में सड़कों पर बिखड़े पड़े शव
हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित कस्बों में से एक बनियास के निवासियों ने कहा कि शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे या घरों और इमारतों की छतों पर बिना दफनाए पड़े थे. कोई भी उन्हें इकट्ठा नहीं कर पाया. बनियास के 57 वर्षीय निवासी अली शेहा ने कहा कि बनियास के एक मोहल्ले में जहां अलावी रहते थे, वहां 20 लोगों की हत्याएं की गईं, उनमें से कुछ को दुकानों में या उनके घरों में मारा गया.