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लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 1710 प्रत्याशी ताल ठोकने वाले हैं। इनमें से 360 यानी 21 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि चौथे चरण में 274 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके खिलाफ अपराध के गंभीर मामले दर्ज हैं। साथ ही इनमें से 17 को सजा भी सुनाई जा चुकी है। 11 कैंडिडेट्स ने बताया कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत केस दर्ज हुआ था जो कि हत्या से जुड़े मामलों में लागू होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, चौथे चरण में 30 ऐसे प्रत्याशी हैं जिनके खिलाफ IPC की धारा 307 के तहत केस दर्ज हैं। 50 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 5 उम्मीदवारों पर दुष्कर्म के आरोप हैं।
प्रमुख राजनीतिक दलों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के तीन में से तीन उम्मीदवार, शिवसेना के तीन में से दो उम्मीदवार, भारत राष्ट्र समिति के 17 में से 10 उम्मीदवार, कांग्रेस के 61 में से 35 उम्मीदवार और भारतीय जनता पार्टी के 70 में से 40 उम्मीदवारों ने शपथपत्र में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। इसके अलावा तेलुगू देशम पार्टी के 17 में से 9 उम्मीदवार, बीजू जनता दल के चार में से दो उम्मीदवार, राष्ट्रीय जनता दल के 4 में से 2 उम्मीदवार, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के चार में से दो उम्मीदवार, वाईएसआरसीपी के 25 में से 12 उम्मीदवार, तृणमूल कांग्रेस के आठ में से तीन उम्मीदवार और समाजवादी पार्टी के 19 में से सात उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।
1710 में से कुल 476 उम्मीदवार करोड़पति
ADR की रिपोर्ट आपराधिक मामलों के अलावा उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि के बीच महत्वपूर्ण विविधता पर भी प्रकाश डालती है। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के लिए 1710 में से कुल 476 उम्मीदवार करोड़पति हैं, जिनकी संपत्ति 1 करोड़ रुपये से अधिक है। करोड़पति उम्मीदवारों में से डॉ. पेम्मासानी सबसे अमीर हैं। जबकि 24 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने घोषित किया है कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है। एडीआर ने इन विश्लेषणों के आधार पर राजनीति के अपराधीकरण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई सुधारों का प्रस्ताव रखा है। इनमें गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए उम्मीदवारों की स्थायी अयोग्यता, राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लाना और चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवारों के लिए सख्त दंड लागू करना शामिल है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)