मऊ: क्या आपने सुना है कभी कोई ऐसा मंदिर, जहां कोई दूध बेचने वाला अगर मंदिर पर दूध न दे, तो उसका दूध नहीं बिकता और उसकी भैंस दूध देना बंद कर देती है? अगर नहीं, तो हम आपको ऐसी ही एक कहानी बता रहे हैं. यह कहानी उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना की है. यहां के आजमगढ़ जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित किशुन दास मंदिर में दहारी दास महाराज जी की समाधि की है. यह मंदिर यहां के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस कहानी का संंबंध इसी स्थान से है.
क्या है मान्यता?
मंदिर के पुजारी राम ज्ञानी ने बताया कि दहारी दास महाराज एक सिद्ध पुरुष थे, जिनके पास दुखी और फरियादी लोग अपनी समस्याओं का समाधान खोजने आते थे. उनका विश्वास होता था कि बाबा उनकी समस्या जरूर दूर करेंगे. लोग बताते हैं कि बाब केवल इतना कहते थे, “जो तुम्हारा काम है, वह हो जाएगा,” और उनके आशीर्वाद से फरियादियों की सभी मन्नतें पूरी हो जाती थी.
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पुजारी ने बाबा से जुड़ी एक रोचक कहानी भी साझा की. उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति उनकी कुटी के पास से दूध लेकर गुजरता और बाबा को दूध नहीं देता, तो उसका दूध बिकता नहीं था और उसकी भैंस दूध देना बंद कर देती थी. जब वह व्यक्ति जाकर बाबा से माफी मांगता, तो बाबा कहते, “तुम्हारी भैंस लग जाएगी,” और तुरंत उसकी भैंस दूध देना शुरू कर देती थी.
आज भी याद करते हैं लोग
इस तरह के चमत्कारों और आस्था के कारण, दहारी दास महाराज जी को लोग आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ याद करते हैं. उनकी समाधि पर आज भी लोग पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं. ऐसा कहते हैं कि यहां सच्चे मन से कोई भी विनती करने वाला खाली हाथ नहीं जाता. उसकी मुराद हर हाल में पूरी होती ही है. यहां लोगों की भीड़ लगती है जो बाबा से अपनी इच्छाओं की पूर्ती की कामना करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 12:44 IST