Last Updated:
Computer Vision Syndrome: डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम आंखों की थकान का कारण बनता है. इसे कम करने के लिए 20 मिनट 20 सेकेंड का फॉर्मूला अपनाएं, ब्रेक लें और हेल्दी खानपान करें.
आंखों से जुड़ी इस बीमारी से बचना है मान लें डॉक्टर की बात. (Canva)
हाइलाइट्स
- डिजिटल आई स्ट्रेन से आंखों में थकान होती है.
- हर 20 मिनट में 20 सेकेंड का ब्रेक लें.
- आंखों की सेहत के लिए विटामिन ए, बी12 और डी3 लें.
Computer Vision Syndrome: डिजिटल की दुनिया भी बड़ी अतरंगी है. आजकल की जैसी हमारी लाइफस्टाइल है, उसने सेहत को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है. आंखों से जुड़ी परेशानी इसमें सबसे ऊपर है. सच कहें तो, यदि शरीर के किसी अंग का सबसे अधिक शोषण हो रहा है तो वो हैं हमारी आंखें. जी हां, आजकल लोगों का ज्यादातर समय स्क्रीन पर बीत रहा है. चाहें वो फोन हो, कंप्यूटर हो या फिर लैपटॉप. डॉक्टर की मानें तो, जब आंखों को काफी देर तक फोकस की मुद्रा में रखा जाए या फिर इन्हें रिलैक्स करने का समय न दिया जाए, तो ये आई फटीग का कारण बनता है.
मेडिकल टर्म में आई फटीग को डिजिटल आई स्ट्रेन या फिर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहते हैं. आजकल आई फटीग के पीड़ितों की संख्या अधिक देखी जा रही है. ऐसे में सवाल है कि आई फटीग क्या बीमारी है? आई फटीग शरीर के किस अंग पर कर रही है हमला? आई फटीग के लक्षण और बचाव क्या हैं? इस बारे में News18 को बता रहे हैं दीपाक्षी हॉस्पिटल नोएडा के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपांकर आनंद-
क्या बीमारी है कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
एक्सपर्ट की मानें तो आई फटीग (कंप्यूटर विजन सिंड्रोम) एक गंभीर बीमारी है. मेडिकल टर्म में इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या फिर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहते हैं. यह लंबे वक्त तक किसी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती है. इसमें मरीज को बहुत ज्यादा थकान होती है, जो कम से कम छह महीने तक बनी रहती है. यह इंसान के शारीरिक या मानसिक कार्य को भी प्रभावित कर सकती है. कई ऐसा लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से, बुक रीडिंग करने से, प्रदूषण से, यूवी किरणों से या लंबे समय तक ड्राइव करने के कारण हो सकता है.
कैसे आई फटीग की परेशानी को कम करें
कंवर्जन एक्सरसाइज: आई योग जरूर करें. हाथों को रगड़ कर इसकी गर्माहट से आंखों को दबाएं. आप पेंसिल पुशअप एक्सरसाइज भी कर सकते हैं. इससे आंख की मांसपेशियां मजबूत होंगी और इनकी फ्लेक्सिबिल्टी भी बढ़ेगी.
20 मिनट 20 सेकेंड का फॉर्मूला: हर 20 मिनट में 20 सेकेंड के लिए अपनी आंखों को स्क्रीन से हटाएं और हर दिशा में घुमाकर एक्सरसाइज करें. स्क्रीन पर देखते देखते बीच बीच में पलकों को कई बार झपकाएं.
वर्किंग डिस्टेंस: वर्किंग की डिस्टेंस का जरूर ध्यान रखें. इसके लिए स्क्रीन को अपनी आंखों से कम से कम 50 से 60 सेमी पर रखें. ऐसा करने से आई फटीग की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है.
बीच-बीच में ब्रेक लें: मॉनिटर की ब्राइटनेस कम करें. इसके लिए डार्क मोड ऑन कर लें या फिर बीच-बीच में स्क्रीन से ब्रेक लेते रहें. ये सभी एक प्रकार के आई वर्कआउट हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
हेल्दी खानपान: स्क्रीन पर काम करते समय आंखों को हर दिशा में घुमाएं. ऐसे में आप आंखों को घुमा कर 8 का फिगर बना सकते हैं. इन सबके साथ ही, विटामिन ए, बी12 और डी 3 युक्त आहार लें, जिससे आंखों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे.
एक्सपर्ट की सलाह: आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल करें. ये आंखों को लुब्रिकेट करता है. साथ ही आंखों की नमी बरकरार रखता है, जिससे ड्राई आईज की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा, ड्राईनेस दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह से ड्रॉप ले सकते हैं.
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण
- ड्राई आईज होना
- आंखों से पानी आना
- लाइट से सेंसिटिविटी
- आंखों में जलन और दर्द
- आंखों में खुजली होना
- सिरदर्द की परेशानी
- नजर का धुंधला होना
- डबल विजन होना
- अनिद्रा यानी नींद न आना
ये भी पढ़ें: हैलो लेडिज..! क्या आप इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान हैं? इन 4 फूड्स का शुरू करें सेवन, समस्या हो सकती दूर
March 11, 2025, 12:15 IST
शरीर के सबसे नाजुक अंग में इस बीमारी का भी हमला, स्क्रीन टाइम बन रहा बड़ा कारण