आगरा: केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आगरा-मथुरा में यमुना नदी का पानी पीने लायक तो छोड़िए नहाने और सिंचाई के लायक भी नहीं है. केंद्रीय जल आयोग की स्टेटस ऑफ ट्रेस एंड टॉक्सिक मेटल्स इन इंडियन रिवर्स रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. यमुना में क्रोमियम, निकिल, लेड, आयरन जैसी भारी धातुएं मानक से ज्यादा हैं. यह लोगों को हृदय, किडनी और कैंसर जैसी बीमारियों की ओर धकेल रही हैं. आयोग की रिपोर्ट वेबसाइट पर भी जारी हुई है.
पूरे देश में आगरा और मथुरा 187 वें स्थान पर है.
आगरा में पोइया घाट से दो जगह से केंद्रीय जल आयोग ने यमुना नदी के पानी का सैंपल जांच के लिए भेजा था. रिपोर्ट में पानी में भारी धातुओं को पाया गया है. पूरे देश में आगरा और मथुरा उन 187 शहरों में शामिल हैं, जहां नदियों में तीन भारी धातुएं पाई गई हैं. जलकल विभाग पानी में गंदापन, रंग, पीएच, टीडीएस, हार्डनेस, कॉलीफॉर्म, ई-कोलाई की ही जांच करता है. इन भारी धातुओं को जांचने के उपकरण नहीं हैं.
पुरानी तकनीक से होता है जल शोधन
आगरा में जीवनी मंडी और सिकंदरा वाटर वर्क्स हैं. इनमें से सिकंदरा वाटर वर्क्स पर 144 एमएलडी क्षमता का एमबीआर प्लांट है. यहां यमुना के पानी का शोधन कर आधे शहर को सप्लाई किया जाता है. भारी धातुओं को जांच के उपकरण वाटर बॉक्स के पास नहीं है. वहीं, जल कल विभाग के पास वाटर बॉक्स पर पानी शोध करने की पुरानी तकनीक है, जो भारी धातुओं को अलग नहीं कर पाती है. नतीजा जो यमुना के पानी का सेवन कर रहे हैं. उनको त्वचा रोग, पेठ के रोग, अल्सर ,फेफड़ों की खराबी, इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर करने, हृदय रोग, किडनी लिवर फेल, फेफड़े का कैंसर जैसी बीमारियां जकड़ रही हैं.
रिपोर्ट आने पर होगा बदलाव
इस पूरे विषय पर आगरा जल संस्थान के महाप्रबंधक एके राजपूत ने बताया कि रिपोर्ट की जानकारी हुई है, लेकिन रिपोर्ट अभी तक हाथों में नहीं आई है. अब तक हम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार काम करते थे. जैसे रिपोर्ट आएगी, तो जल शोधन में क्या बदलाव करने हैं, यह तय किया जाएगा .फिलहाल इस बारे में ज्यादा कुछ कहा नहीं जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 06:30 IST