Women driving their own car: आपकी नौकरी लगे काफी बरस हो गए लेकिन अब तक आपने कार नहीं ली, मगर अब लेना चाहती हैं? या फिर, आपकी यह पहली नौकरी है और आप अपने सपनों की कार खरीदना चाहती हैं? विभिन्न वजहों और जरूरतों के चलते आपको अपने लिए कार लेनी है? इन तीनों में से किसी भी सवाल के ब्रैकेट में यदि आप आती हैं तो यह खबर आपकी मदद करेगी. यदि आप अपने लिए कार खऱीदना चाहती हों लेकिन यह निश्चय नहीं कर पा रही हैं कि कौन सी कार आपको खऱीदनी चाहिए, यानी सेकेंड हैंड या नई में से कौन सी कार आपको लेनी चाहिए, तो आइए पहले जान लें इससे जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो आपको फैसला लेने में मदद करेंगी.
कार खरीदने को लेकर इन सवालों को लेकर रहें स्पष्ट…
कार एक बार खरीद ली जाए तो इसका मूल्य घटने लगता है, इसे डेप्रिशिएटिंग एसेट कहा जाता है. यानी निवेश के लिहाज से इसकी कीमत एक बार खरीदने के बाद से केवल कम होती है, बढ़ती नहीं है. इसलिए याद रखें कि जब आप सेकेंड हैंड कार ले रही हैं तो यह काफी हद तक डेप्रिशिएट हो चुकी होती है. मगर कई बार पैसों की लिमिट के कारण आपको सेकेंड हैंड कार लेने का विकल्प अपनाना पड़ता है. ऐसे में आपको यह देखना होगा कि कार कितनी चली है, कब तक आप इसे इस्तेमाल में लाना चाहती हैं. सेकेंड-हैंड कार की रखरखाव की लागत नई के मुकाबले हर हाल में अधिक होगी, कार जो आप खरीदने जा रही हैं, इसका माइलेज क्या रह गया है. महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं.
सरकार का रजिस्ट्रेशन संबंधी यह नियम…
दिल्ली एनसीआर की बात करें तो आपको यह सरकारी नियम ध्यान में रखना होगा कि कोई भी पेट्रोल कार यदि आप खरीदती हैं, चाहे वह नई हो या सेकेंड हैंड, वह केवल 15 साल तक ही रोड पर चलाए जाने के लिए वैद्य है. साथ ही, डीजल गाड़ियों के लिए यह कैपिंग 10 साल तक है. अब ऐसे में जब आप सेकेंड हैंड कार खरीदती हैं तो ध्यान दें कि 12-14 साल पुरानी कार को आप 3 या 1 साल ही चला पाएंगी. इसके बाद यदि यह कार सड़क पर पाई गई, तो न सिर्फ कार मालिक को 10 हजार रुपये जुर्माना देना होगा, उसकी यह कार भी सीधा स्क्रैपिंग के लिए भेज दी जाएगी. पुरानी गाड़ी खरीदने का यह भी एक झंझट है और यदि आप सेकेंड हैंड कार खरीदने का मन बना चुकी हैं तो इस नियम को ध्यान में रखें. हालांकि आप कार का री-रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं, लेकिन इसके लिए सख्त पैरामीटर से गुजरना होगा. देश के बाकी राज्यों में हालांकि यह नियम ज्यों का त्यों लागू नहीं है और हर राज्य में यह सीमा अलग अलग है.
किन मामलों में सेकेंड हैंड कार बेहतर…
यदि आप बेहद मंहगी (अपनी जेब के हिसाब से) कार खरीदना चाहती हैं या एक प्रीमियम मॉडल लेना चाहती हैं जो नया लेने पर लगभग 25-30 लाख रुपये में पड़ता, तब आपको सेकेंड हैंड का विकल्प ट्राई करना चाहिए. यदि सेकेंड हैंड यह मॉडल आपको 10 से 15 लाख रुपये कम में मिल रहा हो तो यह एक अच्छी डील होगी. लेकिन साथ ही आपको उपरोक्त सवालों पर भी नए सिरे से विचार करना होगा. क्योंकि लाखों रुपये लगाकर आप किसी झोल वाली कार नहीं खरीदना चाहेंगी.
कार लोन लेना चाहेगी तो...
यदि आप नई कार लेती हैं तो लोन आसानी से मिला जाता है लेकिन पुरानी कार के लिए ऑटो लोन हासिल करना कठिन है. अधिकांश बैंक आठ वर्ष से अधिक पुरानी कार के लिए कर्ज नहीं देते. इसके अलावा ओल्ड या यूज्ड कार के लिए मिलने वाले लोन की ब्याज दरें आमतौर पर नई कार के लिए दिए जाने वाले कर्ज से ज्यादा होती है. बिलियनेयर सेल्फ-मेड नायर: मन नहीं रम रहा था छोड़ दी जॉब, 50 की उम्र में लिखी सफलता की खूबसूरत गाथा ‘Nykaa’
नई कार लेती हैं तो…
पुरानी कार लेने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह सस्ती होती है. बाकी कई नुकसान है जिसमें से एक है बीमा और रखरखाव की लागत. नई कार खरीदने अधिक फायदे का सौदा है यदि आप इसे अफोर्ड करने के लिए कुछ और कोशिश कर सकें. यह आराम, सुकून, चिंतामुक्त और तमाम ऐसे लाभों का अहसास देगी जो निश्चित तौर पर सेकेंड हैंड कार नहीं देगी.
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FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 14:45 IST