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Saturday, July 27, 2024

बेहद खास है अलीगढ़ का घंटाघर, भूकंप भी नहीं कर सकता इसे प्रभावित, जानें खासियत

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वसीम अहमद /अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ (Aligarh) जनपद ताला और तालीम के लिए जाना जाता है. इस शहर में कई ऐतिहासिक धरोहर आज भी मौजूद हैं. इन्हीं ऐतिहासिक धरोहर में अलीगढ़ का घंटाघर (Aligarh Clock Tower) भी शामिल है, जो शहर की पहली आधुनिक इमारत हुआ करता था. इसका निर्माण अंग्रेजों के शासन काल के दौरान 1894 में कलेक्टर जेएन हैरिसन के कार्यकाल के दौरान हुआ था. इस घंटाघर का चयन भी काफी सोच समझकर किया गया था. यह एक ऐसी जगह स्थित है, जहां समय की बहुत कीमत है. ज्यादातर सरकारी कार्यालय इसके आसपास ही हैं. 1947 में मिली आजादी के बाद इस घंटाघर को विकसित किया गया.

अलीगढ़ का घंटाघर
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के इतिहासकार प्रोफेसर एमके पुंडीर ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान यहां एक हैरिसन नाम का अंग्रेज कलेक्टर बनकर आया. उन्होंने इस क्लॉक टावर का निर्माण कराया. 1892 में इसकी नींव डाली गई, जो 1894 में कंप्लीट हो गया. यह घंटाघर सिर्फ घंटाघर ही नहीं है, बल्कि उस दौर के बेस्ट आर्किटेक्चरों का एक बेहतरीन उत्तर भारत में नमूना है.

अलीगढ़ का घंटाघर बनाने में कितना खर्च आया?
यह ब्रिटिश शासन काल दौर की अलीगढ़ की सबसे पहली इमारत है. घंटाघर पांच मंजिला इमारत है. इस घंटाघर के निर्माण में स्टोन और ब्रिक्स का ही इस्तेमाल किया गया था. ब्रिटिश शासन काल के दौरान इस घंटाघर को बनाने में 16380 रुपए का खर्च आया था. 5 हजार की सिर्फ घड़ी इसमें लगाई गई, जो इसके चौथे माले पर लगी है.

क्यों है खास?
इतिहासकार एमके पुंडीर ने बताया कि उस समय घड़ियां बेहद कीमती हुआ करती थी. आज की तरह इतना सिस्टम डेवलप नहीं था. लोग दूर-दूर से इस घंटाघर को देखने के लिए आते थे. इस ऐतिहासिक घंटाघर की सबसे खास बात यह है कि इसकी बुनियाद एक लॉक के तौर पर स्थापित की गई है. जिसकी लंबाई और चौड़ाई तकरीबन 15 मीटर की है. जिसकी वजह से भूकंप का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता. इसको हैरिसन ने बनवाया था तो ब्रिटिश शासन काल के दौरान इसे हैरिसन क्लॉक टावर के नाम से जाना जाता था.

Tags: Aligarh news, Local18, Travel



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