जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हाइजैक की घटना के दौरान उनके पिता, तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला को मजबूर किया गया था कि वह आतंकवादियों को जेल से रिहा करें। अपने पिता फारुख अब्दुल्ला द्वारा लिए गए कठिन फैसलों पर बात करते हुए उमर ने एएनआई को बताया कि ऐसा पहली बार नहीं था जब मेरे पिता पर कैदियों को छोड़ने का दवाब डाला गया हो, उससे पहले भी यह हो चुका था।
उमर ने पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सैयद से जुड़े मामले का हवाला देते हुए कहा कि 1989 में जब रुबैया का कश्मीरी अलगाववादियों ने अपहरण कर लिया था, तब वी.पी. सिंह की सरकार ने जम्मू-कश्मीर जेल में बंद कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया था। इसके बाद फिर इस हाइजैक की घटना के दौरान मेरे पिता को मजबूर किया गया कि वह आतंकवादियों को रिहा करें। उस समय की सरकार चाहती तो आतंकवादियों से बात करने के लिए मना भी कर सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि रुबैया खुद उस समय के गृहमंत्री की बेटी थीं।
रुबैया के केस को बेंचमार्क बना दिया गया, फिर छोड़ना ही पड़ा
उमर ने कहा कि बाद में सभी ने इस केस को बेंचमार्क बना दिया। जब हाइजैक की घटना हुई तो सभी पीड़ितों के परिवार वालों ने कहना शुरू कर दिया कि जब आप एक गृहमंत्री की बेटी के बदले 5 आतंकवादी छोड़ सकते हैं तो हमारे परिवार जनों के बदले क्यों नहीं, उनकी जान की कीमत थी तो क्या हमारे अपनों की जान की कोई कीमत नहीं है, और अगर आपके लिए वह कीमती थी तो हमारा परिवार हमारे लिए कीमती है। इस तरह यह घटना एक मिसाल के तौर पर स्थापित हो गई कि चाहे जो हो देश के आम आदमी की जिंदगी जरूरी है।
उमर ने कहा कि जब आपने एक बार किसी की जिंदगी के बदले आतंकवादियों से बात कर ली तो फिर वह हर बार को हो जाता है। आतंकवादियों ने भी उसे इसी तरह से लिया। मुझे लगता है उस समय पर सरकार के पास विकल्प था कि वह आतंकवादियों से बात करने से इंकार कर देती, लेकिन उन्होंने बात कारना चुना तो ऐसे में फिर जब दोबारा वैसी ही घटना हुई तो फिर तो फिर आपको बात करनी ही पड़ी क्योंकि पुरानी घटना एक बेंचमार्क बन गई थी।
नेटफ्लिक्स की बेवसीरिज के चलते चर्चा में कंधार हाइजैक की घटना
दरअसल, IC814 विमान हाइजैक की घटना इस समय चर्चा में है, इसकी वजह है नेटफ्लिक्स पर आई एक बेव सीरिज जिस में इस घटना को दिखाया गया है। इसमें आतंकवादियों के नाम पर विवाद के चलते यह सीरिज फिलहाल देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
अफजल की फांसी से हमारा लेना देना नहीं था, अगर होता तो हम मंजूरी नहीं देते- उमर
आतंकियों की बातचीत के बीच उमर ने कहा कि अफजल की फांसी के संबंध में कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। अगर इसमें राज्य सरकार की मंजूरी का जरूरत होती तो हम इसे मंजूरी नहीं देते। उमर ने कहा कि अगर हमारे हाथ में होता तो हम उसे फांसी नहीं देने देते। आज इतने साल बाद भी मुझे नहीं लगता कि उसे फांसी देने से कोई भी उद्देश्य पूरा हुआ है।