नई दिल्ली: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में करीब हफ्ते भर का समय बचा है और इस बीच शंकराचार्यों में इस मुद्दे पर मतभेद की खबरें आ रही हैं। वहीं पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि शास्त्र सम्मत विधान से प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए।
शास्त्र सम्मत विधान से हो प्राण प्रतिष्ठा
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा-यह बात गलत है राम मंदिर को लेकर शंकराचार्यों में मतभेद है। उन्होंने कहा-‘ श्री राम जी यथास्थान प्रतिष्ठित हों..यह आवश्याक है.. लेकिन शास्त्र सम्मत विधान का पालन करके ही उनकी प्रतिष्ठा हो यह भी आवश्यक है, प्रतिमा, विग्रह या मूर्ति में विधिवत भगवत तेज का सन्निवेश होता है। विधिवत पूजा प्रतिष्ठा नहीं होने पर डाकिन, शाकिनि, भूत-प्रेत चारों दिशाओं में छिन्न भिन्न मचा देते हैं। इसलिए शास्त्र सम्मत विधा से ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए। इतनी सी बात है। इसलिए शंकराचार्यों में किसी तरह के मतभेद का सवाल नहीं है।
चारों शंकराचार्यों के नाराज़ होने की आई थी खबर
इससे पहले उत्तराखंड के ज्योतिर मठ के प्रमुख अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी कह चुके हैं कि वे अयोध्या में कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे क्योंकि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा, जो ‘शास्त्रों के खिलाफ’ है। बता दें कि श्रृंगेरी शारदा पीठ, गुजरात के द्वारका शारदा पीठ, उत्तराखंड के ज्योतिर पीठ और ओडिशा के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्यों के इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। जिसके बाद यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि चारों शंकराचार्य नाराज हैं।
श्रृंगेरी शारदा पीठ और द्वारका शारदा पीठ के शंकाचार्यों ने स्वागत किया-वीएचपी
लेकिन बाद में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का बयान समाने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि श्री श्रृंगेरी शारदा पीठ और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य ने (प्राण प्रतिष्ठा समारोह का) स्वागत किया है। दोनों ने कहा कि वे खुश हैं और उन्हें इससे कोई शिकायत नहीं है।’’ उन्होंने दावा किया कि गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से प्रसन्न हैं और वह अपनी सुविधा के अनुसार बाद में मंदिर देखने जायेंगे। विहिप नेता ने कहा,‘‘केवल ज्योतिर पीठ के शंकराचार्य ने ही कुछ टिप्पणियां की हैं।’’ चारों शंकराचार्य उन चार मुख्य मठों के प्रमुख हैं जिनकी स्थापना आठवीं सदी में आदि शंकर ने की थी।
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