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Wednesday, January 15, 2025

कहां है तनोट राय माता मंदिर? जहां होगी वाघा बॉर्डर जैसी रिट्रीट सेरेमनी, जानिए और क्या है खास

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अगले साल की शुरुआत से बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) तनोट राय माता मंदिर परिसर जैसलमेर में रिट्रीट सेरेमनी शुरू करेगी। यह रिट्रीट सेरेमनी अमृतसर में वाघा बॉर्डर पर होने वाली सेरेमनी जैसी होगी। इस सेरेमनी के लिए एक अम्फीथिएटर बनाया जा रहा है, जिसमें 1,000 लोगों के बैठने की जगह होगी। हर शाम बीएसएफ के जवान भारतीय झंडे को सम्मान के साथ उतारेंगे और ऊंट शो और दूसरे कार्यक्रम भी होंगे। हालांकि, वाघा बॉर्डर की तरह यहां पाकिस्तानी रेंजर्स मौजूद नहीं होंगे, लेकिन बाकी सेरेमनी काफी हद तक वाघा जैसी ही होगी। बीएसएफ, जैसलमेर के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) योगेंद्र सिंह राठौड़ ने इस बात की पुष्टि की है।

केंद्रीय सरकार की बॉर्डर टूरिज्म पहल के तहत पहले तनोट के पास बाबलियन बॉर्डर पोस्ट को 2021 में रिट्रीट सेरेमनी के लिए विकसित किया गया था। उस वक्त वहां स्टेडियम, वॉचटॉवर, सेल्फी पॉइंट्स और दूसरी चीजों का निर्माण 2022 तक पूरा कर लिया गया था। लेकिन बाद में इस प्रोजेक्ट को तनोट के ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से अहम जगह पर शिफ्ट कर दिया गया।

पिछले साल, पर्यटन मंत्रालय ने बॉर्डर टूरिज्म के तहत तनोट परिसर के विकास के लिए 17.67 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मंजूर किया था, जिसे एक साल के अंदर पूरा करने की उम्मीद है। बीएसएफ ने अब तक 70% काम पूरा कर लिया है। ये परिसर 4.57 एकड़ में फैला होगा और इसमें 434 वर्ग मीटर का अम्फीथिएटर, 686 वर्ग मीटर का इंटरप्रिटेशन सेंटर, 434 वर्ग मीटर का कैफेटेरिया, 183 वर्ग मीटर का वीआईपी ब्लॉक, स्मारिका दुकान और शौचालय ब्लॉक जैसी सुविधाएं होंगी। इस परिसर का मुख्य आकर्षण 1,000 लोगों की बैठने की क्षमता वाला अम्फीथिएटर होगा, जहां हर शाम बीएसएफ के जवान भारतीय झंडे को सम्मान के साथ उतारेंगे और ऊंट शो और दूसरे कार्यक्रम पेश करेंगे।

पहले, तनोट के पास बाबलियन बॉर्डर पोस्ट को रिट्रीट सेरेमनी के लिए विकसित किया गया था, जहां 2022 तक स्टेडियम और वॉचटॉवर बना दिए गए थे। लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को तनोट की ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व वाली जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है, जो इंडो-पाक युद्धों के दौरान अपनी मजबूती के लिए मशहूर है।

क्या होंगे खास इंतजाम?

तनोट परिसर में आने वाले सैलानियों को एक खास अनुभव मिलेगा, जहां वो एक संग्रहालय और हथियार गैलरी में सैन्य इतिहास को देख सकेंगे। साथ ही शहीदों को समर्पित दीवारें और म्यूरल्स भी होंगे। यहां परिवारों और बच्चों के लिए मनोरंजन की जगहें भी होंगी। सैलानियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक सुविधाएं जैसे फूड कोर्ट, निगरानी सिस्टम और सोलर-पावर्ड एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग भी लगाई जाएगी। 70% काम पूरा हो चुका है और उम्मीद है कि ये परिसर इस साल के आखिर तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

बीएसएफ के डीआईजी योगेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि तनोट में एक रिट्रीट सेरेमनी की योजना बनाई जा रही है जो वाघा बॉर्डर की भव्यता की बराबरी करेगी। हम तेजी से काम कर रहे हैं और जल्द ही तनोट परिसर को पूरी तरह से चालू कर देंगे। अम्फीथिएटर का निर्माण प्रगति पर है और उम्मीद है कि ये परिसर इस साल के आखिर तक पूरा हो जाएगा।

इसके साथ ही, बीएसएफ ने हाल ही में जैसलमेर में सीमा पर्यटन को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन ई-पास सिस्टम शुरू किया है, जिससे भारत-पाकिस्तान सीमा पर आने वाले सैलानियों के लिए पास हासिल करना आसान हो गया है। पहले लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब ये प्रक्रिया और सुविधाजनक हो गई है जिससे जैसलमेर में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।



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