मऊ: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के देवलास गांव में स्थित सूर्य मंदिर को गहरी आस्था का प्रतीक माना जाता है. यह स्थान महर्षि देवल मुनि की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के पहले दिन यहां रुककर सूर्य की उपासना की थी. मंदिर परिसर में एक सूर्यकुंड स्थित है, जिसमें स्नान करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. हर साल सूर्य सृष्टि के दिन यहां भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.
इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां विभिन्न जातियों के मंदिर स्थित हैं, लेकिन किसी भी प्रकार का मनमुटाव या वैर-भाव नहीं देखा जाता. पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण यह स्थान स्कंद गुप्तकालीन मूर्तियों का धरोहर भी है. देवल मुनि के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध इस स्थल को पहले “देवलर” कहा जाता था. यहां दो प्रमुख तालाब, देवताल और तुलसी ताल, स्थित हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं.
आस्था का प्रतीक
मंदिर के पुजारी तिलोकीनाथ मिश्रा के अनुसार, सूर्य मंदिर को आस्था का प्रतीक इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ आते हैं और सूर्यकुंड में स्नान कर भगवान सूर्य और देवल मुनि की पूजा करते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. यही वजह है कि यह मंदिर स्थानीय लोगों और दूर-दराज के श्रद्धालुओं के बीच बेहद लोकप्रिय है.
मंदिर परिसर में हर दिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. इसके आसपास कई अन्य मंदिर भी बने हुए हैं, जो इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 17:33 IST