हजारीबाग. पारा 40 के पार जा चुका है. गर्म हवाओं के थपेड़ों से लोग परेशान हैं. गर्मी के मौसम में इंसानों के साथ-साथ पशुओं में भी लू लगने का खतरा लगा रहता है. लू लगने के बाद पशुओं में कई तरह के बदलाव होते हैं. पशु बीमार हो जाते हैं, थके थके रहते हैं, पशुओं में 108 डिग्री तक बुखार देखा जाता है. इससे दुधारू पशु कम दूध उत्पादन करते हैं. साथ ही कई बार पशुओं की जान भी चली जाती है.
इस संबंध में हजारीबाग के राजकीय पशु चिकित्सालय के वेटरनरी सर्जन डॉ मुकेश कुमार सिन्हा (BVSC रांची वेटनरी कॉलेज अनुभव 33 साल) बताते हैं कि गर्मी के मौसम में इंसानों के साथ-साथ पशुपालकों को पशुधन का खास ख्याल रखना चाहिए. इस मौसम में पशुधन को लू लगने का खतरा सबसे अधिक रहता है. इसके पीछे का मुख्य कारण गर्म हवा और तपती धूप में पशुओं का बाहर रहना या काम करना है.
यह लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
उन्होंने बताया कि पशुओं में लू लगने पर 108 डिग्री तक का तेज बुखार आता है. पशु खाना बंद कर देते हैं. उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है. जीभ को बार-बार बाहर निकलते हैं. मुंह के आसपास हमेशा झाग निकलती रहती है. चमड़ा सूख जाता है. साथ ही वह खड़ा होने में लड़खड़ाते हैं और उनका बीपी भी नीचे गिर जाता है.
ऐसे करें उपचार
डॉ. मुकेश कुमार सिन्हा आगे बताया कि लू का उपचार करने के लिए पशुपालकों को अपने पशुओं को ठंडी जगह पर छांव में बैठना चाहिए. उन पर ठंडे पानी का छिड़काव करें. समय-समय पर उसे पानी पीने दें. 10 लीटर पानी में 5 से 10 ग्राम सफेद नमक मिलाकर पशु को पिलाएं. आम पन्ना या इमली पानी पिलाएं. साथ ही पशु चिकित्सक की मदद से उसका उपचार करवाएं.
बचाव ही है फायदे का सौदा
उन्होंने आगे बताया कि पशुपालक अपने पशुधन को छांव में रखें. समय-समय पर उन्हें पर्याप्त पानी दें. पानी के साथ पपशुपालक पशुओं को बी कॉम्प्लेक्सर भी पिला सकते हैं. गर्मी में अधिक कार्य न करवाएं. सूरज उगने या सूरज ढलने के बाद ही पशु को नहलाएं.
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FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 11:18 IST