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Rahul gandhi statement in parliament session: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भाजपा पर देश में हिंसा, नफरत तथा डर फैलाने का आरोप लगाया और दावा किया कि ‘‘ये लोग हिंदू नहीं हैं क्योंकि 24 घंटे की हिंसा की बात करते हैं।’’ उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि हिंदू कभी हिंसा नहीं कर सकता, कभी नफरत और डर नहीं फैला सकता। राहुल गांधी ने जब भाजपा पर यह आरोप लगाया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने आपत्ति जताते हुए यह कहा कि कांग्रेस नेता ने पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहा है। राहुल गांधी के बयान पर अब जगत प्रकाश नड्डा की प्रतिक्रिया आई है। नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी को हिन्दू समाज से माफी मांगनी चाहिए। ये वही हैं, जिन्होंने एक बार विदेशी राजदूतों को बताया कि हिन्दू आतंकवादी हैं।
रायबरेली से लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने भाजपा पर युवाओं, छात्रों, किसानों मजदूरों, दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग अल्पसंख्यकों, मुसलमानों, सिखों एवं ईसाइयों को डराते हैं, उन हमला करते हैं और उनके खिलाफ नफरत फैलाते हैं, लेकिन अल्पसंख्यक इस देश के साथ चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा रहा है और उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
राहुल गांधी पर अब नड्डा भी भड़के
संसद में कार्यवाही के दौरान पीएम मोदी और अमित शाह समेत कई भाजपा सांसदों ने राहुल गांधी के बयान पर आपत्ति जताई थी। अब राहुल को फटकार लगाने वालों में जेपी नड्डा भी सामने आए हैं। नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘राहुल गांधी जी को सभी हिंदुओं को हिंसक बताने के लिए तुरंत माफी मांगनी चाहिए। ये वही शख्स हैं जो विदेशी राजनयिकों को बता रहे थे कि हिंदू आतंकवादी हैं। हिंदुओं के प्रति यह आंतरिक नफरत बंद होनी चाहिए।’
न संसदीय मर्यादाएं सीखी न सभ्यता की समझ हैः नड्डा
जेपी नड्डा ने कहा, “विपक्ष के नेता ने हमारे मेहनती किसानों और बहादुर सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों सहित कई मामलों में स्पष्ट रूप से झूठ बोला। एमएसपी और अग्निवीर पर झूठे दावों के लिए केंद्रीय मंत्रियों द्वारा उनकी विधिवत तथ्य-जांच की गई। अपनी घटिया राजनीति के लिए उन्होंने हमारे किसानों और सुरक्षा बलों को भी नहीं बख्शा। राहुल गांधी अब 5 बार के सांसद हैं, लेकिन उन्होंने संसदीय मर्यादाएं नहीं सीखीं और न ही उन्हें सभ्यता की समझ है। वह बार-बार बातचीत के स्तर को कम कर देते हैं। आज सभापति के प्रति उनके वक्तव्य बहुत खराब थे। उनके आज के भाषण से पता चला है कि न तो उन्हें 2024 का जनादेश (उनकी लगातार तीसरी हार) समझ में आया है और न ही उनमें कोई विनम्रता है।”