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तेलंगाना हाई कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया है कि मुस्लिम महिलाएं भी मस्जिदों में नमाज अदा कर सकती हैं। शिया मुसलमानों के अखबारी संप्रदाय से जुड़े एक मामले का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि शिया मुसलमानों के अखबारी संप्रदाय की महिलाएं भी हैदराबाद के दारुलशिफा इबादत खाना में इबादत की हकदार हैं। जस्टिस नागेश भीमापाका ने 25 जुलाई को दिए अपने फैसले में कहा कि कुरान में महिलाओं को मस्जिदों में इबादत करने से रोकने के लिए कोई निषेध नहीं है।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागेश भीमापाका ने अपने फैसले में लिखा, “पवित्र कुरान में सर्वशक्तिमान ने कहीं भी महिलाओं को इबादत करने के लिए मस्जिदों में प्रवेश करने से नहीं रोका है। अध्याय 2 अलबकारा 222-223 यह स्पष्ट करता है कि एक विशेष अवधि, जो प्रकृति द्वारा महिलाओं के लिए ‘आराम की अवधि’ के रूप में दी गई थी, के अलावा महिलाओं को नमाज़ अदा करने से नहीं रोकता है।”
हाई कोर्ट ने अपने फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2018 में सबरीमाला केस में दिए गए फैसले का भी उल्लेख किया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी बताया कि शिया मुसलमानों के एक अन्य संप्रदाय (उसूली संप्रदाय) की महिलाओं को पहले ही वक्फ बोर्ड द्वारा 2007 की कार्यवाही के अनुसार मस्जिदों में इबादत की इजाजत दी जा चुकी है।
हाई कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार, अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को मस्जिदों में इबादत करने से रोका गया तो यह स्पष्त: भेदभावपूर्ण होगा। अदालत अंजुमने अलवी शिया इमामिया इथना अशरी अखबारी नामक संस्था द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने इबादत खाना में मजलिस, जश्न और अन्य धार्मिक प्रार्थनाओं के आयोजन के मामले में अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को प्रवेश से प्रतिबंधित करने को चुनौती दी थी।
तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड से इस मसले का समाधान करने की गुहार लगाने के बाद भी जब मुद्दे का हल नहीं निकल सका, तब संस्था ने राहत के लिए अदालत का रुख किया था। वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि भले ही कुरान में इबादत खाना में महिलाओं के प्रवेश पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, बावजूद इसके धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने उसे मानने से इनकार कर दिया। इससे पहले 11 दिसंबर, 2023 को कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों को अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।