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पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट पर मुकाबला बहुत ही रोमांचक है। यहां भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां दल-बदलू का मेला लगा हुआ है। अब देखना यह दिलचस्प होगा की जनता किसे चुनती है।
जालंधर सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस सीट का महत्व इसलिए भी और बढ़ जाता है क्योंकि यहां से देश के 12वें प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल ने चुनाव जीगा था। इसलिए अपने गढ़ को बचाने के लिए कांग्रेस ने मैदान में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उतारा है। वे एक दलित चेहरा है और कांग्रेस को उनसे उम्मीद है कि वे कांग्रेस को इस सीट से जीत दिलाने में कामयाब होंगे।
भारतीय जनता पार्टी ने यहां से सुशील रिंकू को टिकट दिया है, वे यहां से मौजूदा सांसद हैं। सुशील रिंकू को पहले AAP ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में चले गए। पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट पर मुकाबला बहुत ही रोमांचक है। यहां सुशील रिंकू ने पिछले वर्ष ही कांग्रेस का पाला छोड़ा था और AAP में शमिल हुए थे।
वहीं आम आदमी पार्टी ने दो बार के विधायक और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व नेता पवन कुमार टीनू को प्रत्याशी बनाया है। वे हाल ही AAP में शामिल हुए हैं।
सुखबीर सिंह बादल नीत शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने जालंधर सीट से कांग्रेस के पूर्व नेता मोहिंदर सिंह कायपी को खड़ा किया है। कायपी ने पिछले महीने ही शिअद का हाथ थामा है।
मायावती की पार्टी बहुजन समाज ने बलविंदर कुमार को अपने उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतारा है।
2019 में जालंधर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी संतोख चौधरी जीते थे। लेकिन उनके असामयिक निधन के बाद यहां मई 2023 में उपचुनाव कराए गए जिसमें आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार रिंकू ने 34 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत अपने नाम दर्ज की। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव 1 जून को है। जालंधर लोकसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 16.54 लाख है, जिसमें अनुसूचित जाति की संख्या बाहुल्य है। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं।