रिपोर्ट सौरभ वर्मा/रायबरेलीः धान-गेहूं की फसलों से अब किसानों का मोह भंग होने लगा है. किसान अब परंपरागत फसलों की खेती छोड़ बागवानी की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. जिससे वह कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. सरकार भी बागवानी की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है. जिससे लाभान्वित होकर किसान अपनी आय बढ़ा सके. इसी का जीता जागता उदाहरण हैं रायबरेली जनपद के शिवगढ़ कस्बा क्षेत्र अंतर्गत शिवगंज गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान आनंद कुमार, जो बीते लगभग 5 वर्षों से अपनी पुश्तैनी जमीन पर बागवानी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
प्रगतिशील किसान आनंद कुमार के मुताबिक उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. आगे की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा, तो उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर बागवानी की खेती यानी मौसमी सब्जियों की खेती शुरू कर दी.अब वह कम लागत में बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं .वह बताते हैं कि अन्य फसलों की तुलना में बागवानी की खेती में लागत कम मुनाफा अधिक होता है.
मौसम के अनुरूप करते हैं खेती
वह बताते हैं कि वह मौसम के अनुरूप बागवानी की खेती करते हैं. जिसमें वह सर्दियों के मौसम में पत्ता गोभी, फूलगोभी, मूली तो गर्मी के मौसम में लौकी ,कद्दू ,तुरई, मिर्च की खेती करते हैं. क्योंकि अलग-अलग मौसम में अलग-अलग सब्जियों की मांग बाजारों में अधिक रहती है. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
मचान विधि से करते हैं लौकी की खेती
लोकल 18 से बात करते हुए प्रगतिशील किसान आनंद कुमार बताते हैं कि वह लगभग एक बीघा जमीन पर सब्जियों की खेती करते हैं. जिसमे वह पांच बिस्वा जमीन पर एक खास विधि यानी की मचान विधि से लौकी की खेती करते हैं. वह बताते हैं कि इस विधि की खासियत यह है कि इसमें 30 से 40 दिनों में लौकी की नर्सरी तैयार हो जाती है. उसके उपरांत बेलदार पौधे को मचान के ढांचे पर झाड़ के बीच फैला दिया जाता है. इससे जब लौकी में फल निकलते हैं, तो वह जमीन को नहीं छूते. बल्कि बेल मचान के सहारे हवा में लटकती रहती है. इससे लौकी में खरपतवार , कीट एवं रोग लगने का खतरा भी कम रहता है.साथ ही बेल के लटकने की वजह से लौकी की लंबाई में भी वृद्धि होती है.आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि एक बीघे में लगभग 30 से 40 हजार रुपए की लागत आती है. तो वहीं लागत के सापेक्ष सीजन में डेढ़ से दो लाख रुपए तक आसानी से कमाई हो जाती है.
इस तरह तैयार होता है मचान
वह बताते हैं कि खेत की जुताई करके उसमें 3 से 4 फीट की दूरी पर नालियां बना दी जाती हैं. फिर उन नालियों में 1.5 फीट से 2 फीट की दूरी पर बांस की लकड़ियां जमीन में गढ्ढा बनाकर गाड़ दी जाती हैं. उसके बाद उन लड़कियों के किनारे बीज बुआई करते हैं.जब पौधा बड़ा होने लगता है, तो रस्सी के सहारे पौधे को बांध दिया जाता है. धीरे-धीरे पौधा झाड़ पर फैल जाता है .इस विधि से किसान खेती करके कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 16:27 IST