-1.3 C
Munich
Wednesday, January 15, 2025

अंग्रेज भी नही बंद करा पाए थे यह मेला, बाबा ने शक्ति से घरों में भर दिया सांप

Must read


सहारनपुर: राजस्थान के बागड़ के बाद बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज का सहारनपुर में देश का दूसरा सबसे बड़ा मेला आयोजित होता है. बाबा जाहरवीर गोगा महाराज का यह मेला लगभग 850 साल से निरंतर लगता आ रहा है. जब मुगल काल में सभी मंदिरों को खंडित कर दिया गया था. उस समय पूजा पाठ पर प्रतिबंध लग गया था. उसके बाद बाबा जाहरवीर गोगा महाराज ने झंडा पूजन शुरू किया था. इस नीले झंडे से ही सनातन और धर्म का प्रचार हुआ, जो कि आज तक किया जा रहा है.

7 लाख की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
वहीं, अंग्रेजी शासन में भी अंग्रेजों द्वारा बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज के इस मेले को बंद कराया गया था. जिसके बाद बाबा जाहरवीर गोगाजी महाराज ने अपनी शक्ति से अंग्रेजों के घरों में सांप ही सांप कर दिए थे. इसके बाद अंग्रेजों ने इस एक दिन के मेले को 3 दिन का कर दिया था. तभी से ही यह मेला 3 दिन का होता चला आ रहा है. इस मेले में कई राज्यों के लगभग 5 से 7 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.

जानें 850 साल पुराने मेले का इतिहास
बाबा जाहरवीर महाराज स्नान के लिए सहारनपुर से हरिद्वार जाया करते थे. गंगोह मार्ग पर अपनी सेना के साथ पड़ाव डालते थे. बाबा ने 850 साल पूर्व कबली भगत को मछली पकड़ते हुए देखा और बाबा ने कबली भगत से कहा मछली पकड़ना बंद करो. कबली भगत ने अपनी जीविका चलाने के लिए मजबूरी बताई. जिसके बाद बाबा ने कहा तुम यह झंडा उठाओ और धर्म का प्रचार-प्रचार करो सारी समस्या दूर हो जाएगी.

जानें कैसे हुई म्हाड़ी की स्थापना
इसके बाद कबली भगत ने यहां पर म्हाड़ी की स्थापना की. बाबा जाहरवीर ने अपने कबली भगत को यहां चांदी का नेजा दिया था. हर वर्ष हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड सहित अनेक जगहों से 5 से 7 लाख श्रद्धालु नीला निशान और प्रसाद चढ़ाने आते हैं. महानगर से 3 किलोमीटर दूर गंगोह रोड पर बाबा श्री गोरखनाथ के शिष्य श्री जाहरवीर गोगाजी महाराज की म्हाड़ी है.

3 दिवसीय लगता है ऐतिहासिक मेला
वहीं, भाद्रपक्ष में शुक्ल पक्ष की दशमी पर ऐतिहासिक मेला लगता है. इस बार 13 सितंबर को 3 दिवसीय मेला भरेगा. मेले से 15 दिन पूर्व भाद्रपक्ष कृष्ण पक्ष दशमी को बाबा जाहरवीर गोगाजी महाराज का प्रतीक चिह्न 26 छड़ियों का शृंगार हो गया है. मेले वाले दिन शहर के विभिन्न इलाकों से बैंडबाजों और ढोल नगाड़ों और नरसिंघा के साथ नेजे, सरदार छड़ी की अगुवाई में रंग-बिरंगी कपड़ों से सजी व 18 से 20 फिट ऊंची 26 छड़ियां बैंडबाजों के साथ म्हाड़ी की ओर प्रस्थान करेंगी. मेले की सारी व्यवस्था नगर निगम देखता है.

Tags: Local18, Saharanpur news



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article