जम्मू कश्मीर में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आरोप प्रत्यारोप का दौरा शुरू हो गया है। इस बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह इस बात से हैरान हैं कि यह पार्टी जम्मू-कश्मीर को अपनी निजी जागीर समझती है। महबूबा मुफ्ती ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी पर NC के वाइस प्रेसिडेंट उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी पर भी जवाब दिया है।
महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मैं हैरान हूं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर को अपनी निजी जागीर के रूप में देखती है। उन्होंने ही जम्मू-कश्मीर में हलाल और हराम प्रणाली शुरू की है। उन्होंने कहा कि जब NC के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला मुख्य प्रशासनिक अधिकारी थे तब चुनाव हलाल था। महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा, “जब वह (शेख अब्दुल्ला) प्रधानमंत्री बने तो चुनाव हलाल था। जब उन्हें हटाया गया तो 22 साल तक चुनाव हराम थे। 1975 में चुनाव हलाल के ख़िलाफ़ थे। 1987 में उन्होंने ही जमात या अन्य पार्टियों के लिए चुनाव हराम कर दिया था, 1987 में उन्होंने किसी भी वैकल्पिक ताकतों को उभरने से रोकने के लिए चुनावों में धांधली की। उन्होंने अन्य पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोका और अब अगर जमात-ए-इस्लामी चुनाव में भाग लेना चाहती है तो यह अच्छी बात है।”
‘सत्ता में हैं तो चुनाव हलाल नहीं तो हराम’
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की लड़ाई है और सरकार को जमात पर से प्रतिबंध हटाना चाहिए और उनकी जब्त संपत्तियों और संस्थानों को बहाल करना चाहिए। उन्होंने कहा, “चुनावों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का रुख पाखण्ड है। जब वे सत्ता में होते हैं तो चुनाव को हलाल मानते हैं लेकिन जब सत्ता में नहीं होते तो हराम मानते हैं।”
जमात-ए-इस्लामी के चार पूर्व सदस्यों नामांकन किया दाखिल
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने चुनाव में उनकी भागीदारी पर कहा था कि हाल तक यह हराम था और अब वे इसे हलाल मानते हैं। गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला ने आगामी विधानसभा चुनाव में अपने पूर्व कार्यकर्ताओं को निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया है। वहीं जमात-ए-इस्लामी के कम से कम चार पूर्व सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल किया है। उनकी भागीदारी को समूह के एक बड़े वैचारिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।