Last Updated:
पाकिस्तान क्रिकेट टीम पहली बार 1952 में क्रिकेट सीरीज खेलने आई. सीरीज खत्म होने के समय पाकिस्तान के कप्तान अब्दुल हफीज कारदार ने कश्मीर पर विवादास्पद बयान दे दिया. जिससे नेहरू बहुत नाराज हुए
भारत ने अच्छी नीयत से 1952 में पहली बार पाकिस्तान को इंटरनेशनल टूर करने का मौका दिया. उसे आईसीसी में टेस्ट का दर्जा दिलाया. यही नहीं भारत में खेलने की वजह से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को जो पैसा मिला, उससे पाकिस्तान में क्रिकेट की संरचना को मजबूत होने का मौका मिला लेकिन अहसानफरोसी देखिए कि पाकिस्तान की टीम जब अपनी पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खत्म कर रही थी तब पाकिस्तान के कप्तान अब्दुल हफीज कारदार ने कश्मीर पर ऐसा बयान दे दिया कि नेहरू बहुत नाराज हुए. उन्होंने कारदार आगे से भारत आने पर प्रतिबंध ही लगा दिया.
पाकिस्तान की क्रिकेट टीम पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1952 में भारत आई थी. कारदार ने कश्मीर पर अपने विचार व्यक्त किए थे, जो नेहरू की नीतियों के विपरीत थे. कोलकाता में आखिरी टेस्ट था. इस टेस्ट मैच के दौरान कारदार ने मीडिया को कश्मीर को देकर ऐसा बयान दिया कि अच्छे माहौल में खेली जा रही इस सीरीज में फिर कटुता का माहौल पैदा हो गया.
अब्दुल हफ़ीज़ कारदार लाहौर में पैदा हुए थे. वह उस तब भी भारतीय टीम से खेल चुके थे, जब देश का बंटवारा नहीं हुआ था. भारतीय टीम में उनके कई अच्छे मित्र थे.


अक्टूबर 1952 में भारत और पाकिस्तान के बीच खेली गई पहली क्रिकेट सीरीज में भारत के कप्तान लाला अमरनाथ (दाएं) और पाकिस्तान के कप्तान हफीज कारदार राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से मिलने गए. (TWITTER )
कश्मीर को लेकर क्या कहा
अब्दुल हफ़ीज़ कारदार बयान देते हुए कश्मीर को पाकिस्तान का अभिन्न अंग माना. इस मुद्दे पर अपनी राय रखी, जिससे नेहरू नाराज़ हो गए. इसके बाद, नेहरू ने कारदार को भारत में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया. ये कई वर्षों तक लागू रहा. कारदार के लिए भारत आना मुश्किल हो गया.
ये भी पढ़े – आजादी के बाद BCCI ने क्यों पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को दी थी मोटी रकम, जिससे खड़ा हो पाया वो
नेहरू को क्रिकेट में दिलचस्पी थी. वह भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशंसक थे. उन्होंने कई बार भारतीय क्रिकेट टीम को प्रोत्साहित किया. उनके मैचों में मौजूद रहे. नेहरू ने भारत-पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले क्रिकेट मैचों को दोनों देशों के बीच सौहार्द बढ़ाने के लिए एक माध्यम के रूप में देखा.


वर्ष 1952 में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम अपनी पहली इंटरनेशनल सीरीज खेलने भारत आई. सीरीज में पाकिस्तान कप्तान हफीज कारगर और भारतीय टीम के कप्तान लाला अमरनाथ साथ साथ,. (FILE PHOTO)
विवादास्पद बन गए
कारदार ने अपने करियर में क्रिकेट के मैदान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी राजनीतिक राय ने उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादास्पद व्यक्ति बना दिया. जहां तक नेहरू की बात है, उन्होंने पाकिस्तान कप्तान की इस हरकत को गलत ही नहीं खेलभावना के भी खिलाफ माना. उनका मानना था कि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद दोस्ती की भावना से पाकिस्तान की टीम भारत आने का मौका दिया गया था लेकिन कारदार का रवैया कतई उचित नहीं था.
कई बार कश्मीर पर राय जाहिर की
एक बार नहीं कश्मीर को लेकर कारदार ने कई बार अपने विचार जाहिर किए. जिन्ना और पाकिस्तान सरकार की तर्ज पर वह भी कहते थे कि कश्मीर पाकिस्तान का अभिन्न अंग है. इस मुद्दे पर उनकी स्पष्ट और मुखर राय थी. उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की वकालत की. इसे पाकिस्तान की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना. इस मुद्दे पर उन्होंने कई बार लिखा भी.


वर्ष 1952 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई पहली क्रिकेट सीरीज में खेलते हुए कारदार. (फाइल फोटो)
जिन्ना के प्रबल समर्थक
करदार मोहम्मद अली जिन्ना के प्रबल समर्थक थे. जाहिर था कि क्रिकेट में रहते हुए वह जिस तरह से कश्मीर के बारे में बातें करते थे, उससे उन्हें राजनीति में ही जाना था. वह गए भी. 1972 से 1977 तक वह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष रहे.
विधानसभा में सदस्य और मंत्री रहे
उन्होंने पंजाब की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. बाद में भुट्टो सरकार के तहत पंजाब के खाद्य मंत्री का पद संभाला. अपने जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने स्विटज़रलैंड में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में काम किया. 1996 में अपने गृहनगर लाहौर में उनका निधन हो गया.
कई अन्य पाक क्रिकेटर भी कश्मीर पर विवादित बयान दे चुके हैं
पाकिस्तान के कुछ अन्य क्रिकेटरों ने भी कश्मीर मुद्दे पर विवादास्पद बयान दिए हैं. शाहिद अफरीदी ने कश्मीर मुद्दे पर कई बार विवादास्पद बयान दिए हैं.
पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर और कप्तान राशिद लतीफ ने कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की वकालत की. इमरान खान तो खैर बाद में प्रधानमंत्री ही बन गए, तो उनका तो इस विवाद में आग झोंकना लाजिमी ही था. हालांकि वसीम अकरम का रुख इस पर संयमित रहा.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 24, 2025, 12:05 IST
किस पाकिस्तानी क्रिकेटर से नेहरू हुए नाराज, इंडिया इंट्री कर दी बैन