भुवनेश्वर
ओडिशा ने भीषण तूफान फोनी के प्रकोप का सामना किया, लेकिन नए वॉर्निंग सिस्टम और युद्ध स्तर की तैयारियों के चलते हजारों लोगों की जान बच गई। सरकारी अधिकारियों ने फोनी तूफान से 6 लोगों की, जबकि न्यूज एजेंसियों ने 8 लोगों की मौत की पुष्टि की है। तूफान की गंभीरता को देखते हुए यह आंकड़ा बहुत कम है, क्योंकि इससे पहले आए ऐसे ही भीषण तूफान में 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। ऐसा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के बेहतर वॉर्निंग सिस्टम, लाखों लोगों की सफल निकासी, केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय और बड़ी एनडीआरएफ टीम की वजह से संभव हो पाया।
ऐसा नहीं है कि फोनी की जद में आने वाले इलाके बच गए। पुरी में कच्चे घरों को भारी नुकसान हुआ है। 160 लोग इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं। डीएम और एसपी के आवास भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बिजली आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित रही, लेकिन आईएमडी के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल (रीजनल हूरिकेन मॉडल) ने भारी नुकसान को रोकने में मदद की। साथ ही यह भी दिखाया कि 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद से लैंडफॉल पर नजर रखने और पूर्वानुमान लगाने में कितनी प्रगति हुई है। साल 1999 में आए सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
अक्टूबर 2013 में आए फैलिन और अक्टूबर 2014 में आए हुदहुद तूफान को लेकर सफल अभियान के बाद केंद्रीय एजेंसियां और राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर निकासी का प्रबंधन करने में सक्षम थीं। लगातार चेतावनी की वजह समुद्र के किनारे और तूफान के रास्ते में आने वाली जगहों पर रहने वाले लोगों को बचाया जा सका।