जालंधर
लोकसभा चुनावों में मिशन 13 को लेकर चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस के लिए पंजाब में दिक्कतें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। 13 में से 9 लोकसभा हलकों के उम्मीदवारों के चयन के बाद पार्टी में बगावती सुर तेज हो गए हैं। जालंधर, होशियारपुर, फिरोजपुर में कांग्रेस नेता खुलकर पार्टी के फैसले को चुनौती दे रहे हैं परंतु अब पार्टी में जाति वर्ग को लेकर भारी परेशानियां खड़ी हो गई हैं, जहां पहले मजहबी/वाल्मीकि भाईचारे ने कांग्रेस के खिलाफ उनकी अनदेखी करने का विरोध जताया वहीं अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) भी खुलकर सामने आ गया है। उन्होंने लोकसभा चुनावों में प्रतिनिधित्व न देने का विरोध जताया है जिसके बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व अब कई मोर्चों पर जूझ रहा है। वाल्मीकि/मजहबी समुदाय ने 4 रिजर्व सीटों को रिव्यू करते हुए 2 सीटों पर समुदाय से संबंधित नेताओं के लिए टिकट मांगी है और ऐसा न करने की सूरत में सभी 13 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार न करने की चेतावनी दी है। पार्टी हाईकमान का अभी उन वाल्मीकि/मजहबी नेताओं के गुस्से को शांत करते हुए उनसे मोल करना बाकी है जो दावा करते हैं कि टिकट आबंटन के दौरान अनदेखी की गई। वहीं ओ.बी.सी. की कार्यकारी समिति की एक बैठक हुई थी जिसमें आनंदपुर साहिब सीट के लिए नेता को नामित करने का अल्टीमेटम दिया गया है वर्ना वे अपना अलग रास्ता अपनाएंगे। ओ.बी.सी. नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को चेताया है कि पंजाब में उनका एक बड़ा वोट बैंक होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है, जैसा कि 2009 और 2014 के संसदीय चुनावों में हुआ था।
कांग्रेस नेताओं राजपाल सिंह, आर.पी. सिंह, सुरजीत सिंह सेटा और हरभजन सिंह सैनी ने कहा कि कांग्रेस के पंजाब मामलों की प्रभारी आशा कुमारी और प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ के आश्वासन के बावजूद उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि केवल जाट ही पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उक्त नेताओं ने चेतावनी दी कि ओ.बी.सी. वर्ग की अनदेखी आनंदपुर साहिब, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, पटियाला और फिरोजपुर में पार्टी की संभावनाओं को नुक्सान पहुंचा सकती है। कांग्रेस के दिग्गज दिलबाग सिंह के बेटे चरणजीत सिंह चन्नी जिन्होंने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी, उसके बाद पार्टी ने किसी भी ओ.बी.सी. नेता को अग्रणी पंक्ति के नेताओं में शामिल करने का प्रयास नहीं किया।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान एच.एस. हंसपाल ने स्वीकार किया है कि पंजाब में उनका बनता प्रतिनिधित्व मिल पाने के कारण ओ.बी.सी. वर्ग में खासा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने अगर समय रहते उनकी भावनाओं को न समझा तो पार्टी को लोकसभा चुनावों में नुक्सान उठाना पड़ेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और आनंदपुर साहिब सीट के टिकट के दावेदार राजपाल सिंह ने कहा कि स्व. ज्ञानी जैल सिंह के बाद रामगढिय़ा समुदाय को पार्टी ने दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान को अपने फैसले पर पुनॢवचार करते हुए आनंदपुर साहिब की सीट ओ.बी.सी. वर्ग को देनी चाहिए।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद शमशेर सिंह दूलो ने कहा कि पार्टी ने वाल्मीकि समुदाय की अनदेखी करके भारी भूल की है। दूलो ने कहा कि पंजाब में एक बड़ा वोट बैंक वाल्मीकि समुदाय से संबंधित है। एक तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पंजाब में सभी 13 सीटों पर जीत हासिल करने का दावा करते हैं परंतु टिकटों में हुई बंदरबांट के चलते हालात कुछ और ही नतीजों का विश्लेषण बयां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता पहले ही गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा उठाई कसमों के पूरा न होने से खफा है वहीं अब वाल्मीकि समुदाय को टिकटें न देकर नाराजगी मोल ले ली है।