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Sunday, February 9, 2025

सर्दी, गर्मी, बरसात…हर मौसम में उगाएं मशरूम, इन बीजों का करें चुनाव, होगी जमकर पैदावार!

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Agency:News18 Uttar Pradesh

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Bahraich: मशरूम की खेती पूरे साल की जा सकती है बस वेदर के हिसाब से किसान भाइयों को अलग-अलग वैरायटी बोनी चाहिए. इसके साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखने से उत्पादन बहुत बढ़िया होता है.

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हर मौसम में करें मशरूम उत्पादन!

हाइलाइट्स

  • मशरूम की खेती पूरे साल की जा सकती है.
  • बटन, मिल्की, वाल और वेस्टर मशरूम की खेती करें.
  • मशरूम की खेती में शुद्ध हवा और पानी का ध्यान रखें.

बहराइच: मशरूम उत्पादन एक मुनाफे का सौदा है. यूपी में बहुत सारे किसान ऐसे हैं जो मशरूम उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. मशरूम उत्पादन में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या सीजन की आती है. लेकिन अब आप इन प्रजातियों के मशरूम की खेती कर सालभर उपज ले सकते हैं. इन प्रजातियों में बटन मशरूम, जिसकी खेती जाड़े में की जाती है, दूसरा मिल्की और वाल मशरूम, जिसकी खेती गर्मियों में की जाती है, चौथा वेस्टर मशरूम, जिसकी खेती लगातार 9 महीने तक की जा सकती है. इस तरह किसान इन प्रजातियों की खेती कर पूरे सालभर मशरूम की उपज ले सकते हैं.

वेस्टर मशरूम
वेस्टर मशरूम, मशरूम की एक खास किस्म है. मशरूम, कवक (फंगस) का एक प्रकार है. इसे खुम्बी, छतरी और कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है. इसे आहार में शामिल किया जाता है. मशरूम उत्पादन करने वाले किसानों के लिए वेस्टर मशरूम बेहद खास होता है, जिसकी खेती पूरे 9 महीने तक की जा सकती है.

बटन मशरूम
बटन मशरूम का उत्पादन सर्दियों में किया जाता है. यह जाड़े में उत्पादन करने वाली मशरूम की एक प्रजाति है, जिसका किसान ठंड में उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बटन मशरूम को सफेद बटन मशरूम भी कहा जाता है. यह सबसे लोकप्रिय मशरूम किस्म है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में खपत किए जाने वाले मशरूम का 90 प्रतिशत हिस्सा बनाती है.

यह सबसे सस्ती भी होती है और इनका स्वाद सबसे लाइट होता है, हालांकि जिस चीज के साथ इसे पकाया जाता है, ये उसका स्वाद आसानी से सोक लेता है. इन्हें कच्चा खाया जा सकता है और हल्का सा फ्राई करके, ग्रिलकर के या भूनकर खाया जा सकता है.

मिल्की और वाल मशरूम
मिल्की और वाल मशरूम की खेती गर्मियों में की जाती है. गर्मियों में ये प्रजातियां तेजी से वृद्धि करती हैं और अच्छे से सरवाइव कर लेती हैं. मिल्की मशरूम (कैलोसाइबे इंडिका) एक सफेद रंग का मशरूम है. यह भारत में व्यावसायिक रूप से उगाया जाने वाला पहला स्वदेशी मशरूम है. इसे दूधिया मशरूम भी कहा जाता है. यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है.

वाल मशरूम (Volvariella volvacea) जिसे पुआल मशरूम या पैरा मशरूम भी कहा जाता है, एक खाद्य मशरूम है. इसे चीनी मशरूम और धान का पुआल मशरूम भी कहा जाता है. यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है. भारत में भी इसकी खेती की जाती है.

खेती के समय इन बातों का रखें ध्यान
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि मशरूम की खेती में मशरूम उत्पादन वाले स्थान पर कल्टीवेशन करते समय शुद्ध हवा आने की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है. इससे मशरूम की ग्रोथ तेजी से होती है. इसके साथ ही मशरूम के ऊपर सीधे पानी नहीं डालना चाहिए. अगर चाहें तो किसी बर्तन में पानी रख दें, जिससे पानी वाष्प बनकर धीरे-धीरे मशरूम को फायदा देता है.

कीट से करें बचाव
इसके अलावा, मशरूम को फ्रेश हवा की बहुत जरूरत होती है. फ्रेश हवा मिलने पर मशरूम काले नहीं पड़ते हैं और अच्छे बने रहते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि हवा आने वाले स्थान पर जाली लगी हो, जिससे मशरूम फली अंदर न आने पाए. यह एक प्रकार का कीट होता है जो मशरूम को नुकसान पहुंचा सकता है.

मशरूम उत्पादन होने के बाद मशरूम को जड़ समेत निकालना चाहिए. उनके डंठलों को नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि डंठल छोड़ देने पर वे सड़ने-गलने लगते हैं, जिससे कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं. अगर किसान इन बातों का ध्यान रखें, तो उत्पादन बहुत ही अच्छा होगा.

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