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Monday, April 29, 2024

बांद्रा के बाद सूरत में प्रवासी मजदूरों ने अपने घर भेजे जाने की मांग को लेकर फिर किया प्रदर्शन

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सूरत

सूरत में सैकड़ों प्रवासी कामगारों ने फिर से प्रदर्शन किया। कामगार लॉकडाउन के बावजूद अपने मूल निवास स्थल तक भेजने की मांग कर रहे थे। इससे पहले शुक्रवार को भी सूरत में प्रवासी कामगारों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे। पुलिस ने कहा कि सूरत शहर के वरच्छा इलाके में प्रवासी कामगार जमा हो गए और मूल निवास स्थान तक वापस भेजे जाने की मांग करते हुए सड़क पर बैठ गए। वरच्छा सूरत का हीरा पॉलिश हब है और लाखों मजदूरों को रोजगार मुहैया कराता है। इसी इलाके में कई टेक्सटाइल यूनिटें भी हैं। प्रदर्शन कर रहे कामगारों में ज्यादातर ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार से थे। प्रदर्शनकारियों को समझाने के लिए स्थानीय विधायक एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री किशोर कनानी भी प्रदर्शन स्थल तक पहुंचे।

घटनास्थल पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ये प्रवासी कामगार अपने मूल निवास स्थान लौटना चाहते हैं। हमने उनसे लॉकडाउन के कारण धैर्य नहीं खोने के लिए कहा है। उनमें से कुछ ने खाने को लेकर शिकायत की। हमने एक एनजीओ को बुलाया और उनके लिए तुरंत फूड पैकेट खरीदे गए। स्थिति अब नियंत्रण में है।’

बिहार के करीब 50 प्रवासियों को ले जा रहे ट्रक को असम के तिनसुकिया जिले में रोक लिया गया। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए ये लोग यात्रा कर रहे थे। पुलिस ने कहा कि प्रवासियों ने ट्रक मालिक को प्रति व्यक्ति 1400 रुपये का भुगतान किया था। सभी को तिनसुकिया में मारवाड़ी धर्मशाला में ठहराया गया है। प्रवासियों ने बताया कि 22 मार्च से उन्हें न तो कोई काम मिला है और न ही उन्हें कहीं से भी कोई सहायता मिली है। बिहार के एक युवा प्रवासी श्रमिक ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मंगलवार को बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण पर रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण घर लौटने में समर्थ नहीं रहने के कारण उसने यह कदम उठाया। बिहार के लखीसराय जिले के निवासी इस श्रमिक ने सीलिंग फैन में सोमवार को फंदा लगाकर जान दे दी। उसके मित्र ने पुलिस को सूचना दी कि वह रविवार से ही परिवार का फोन कॉल रिसीव नहीं कर रहा है। अंदर से बंद कमरे का दरवाजा तोड़ा गया।

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