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रामपुर की मालती देवी ने 5 बीघा जमीन में तुरई की खेती कर हर महीने हजारों रुपये कमाए. जैविक तरीके अपनाकर लागत कम की और फसल सुरक्षित रखी. उनकी मेहनत अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बनी है.
कहते हैं अगर मेहनत ईमानदारी से की जाए और सही तरीका अपनाया जाए, तो खेती भी एक अच्छा रोजगार बन सकती है. ऐसा ही कर दिखाया है रामपुर जिले की मालती देवी ने. उन्होंने 5 बीघा जमीन में तुरई की खेती शुरू की और आज हर महीने हजारों रुपये कमा रही हैं.


मालती देवी बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले खेत को अच्छी तरह तैयार किया. खेत की 4 से 5 बार जुताई की गई. फिर हैरो और कल्टीमेटर से मिट्टी को समतल किया. इसके बाद मेड डोल बनाकर मार्च के पहले हफ्ते में तुरई के बीज लगाए.



वे कहती हैं कि बुवाई के तुरंत बाद पानी देना बहुत जरूरी होता है. गर्मियों में हर तीसरे दिन सिंचाई करनी पड़ती है, नहीं तो पौधों के पत्ते जलने लगते हैं और फसल खराब हो सकती है.


5 बीघा खेत में बीज पर 7 से 8 हजार रुपये का खर्च आया. मालती ने पूसा नस्ल की तुरई लगाई, जो स्वाद और उत्पादन दोनों में अच्छी मानी जाती है. 60 दिनों में फसल तैयार हो गई और मई से तुड़ाई शुरू कर दी गई


अब मालती देवी हर दिन 80 से 100 किलो तुरई स्थानीय मंडी में बेच रही हैं. उन्हें 25 से 30 रुपये प्रति किलो का दाम मिल रहा है. इससे हर महीने हजारों रुपये की कमाई हो रही है


मालती ने कीट नियंत्रण और सिंचाई के लिए जैविक तरीके अपनाए. इससे न सिर्फ लागत कम हुई, बल्कि फसल भी साफ-सुथरी और सुरक्षित रही.



आज मालती देवी की मेहनत आसपास के किसानों और खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है. वे कहती हैं, ‘अगर सोच सही हो और मेहनत ईमानदार हो, तो खेती से भी आत्मनिर्भर बना जा सकता है.’