महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को है. ऐसे में पोस्टर बैनर लग चुके हैं और तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. गुड़ी पड़वा से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. इसी दिन से हिंदुओं का नया साल भी शुरु होता है. इसे लेकर सभी सियासी दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हैं.
मराठी समुदाय के लोग इस दिन समृद्धि की सूचक गुड़ी को घर के बाहर बांधकर उसकी पूजा करते हैं. मान्यता है इससे पूरा साल सुख, सफलता और ऐश्वर्य लेकर आता है. भाजपा ने तय किया है कि आर्थिक राजधानी में सवा लाख हिंदुत्व की गुड़ी ‘संदेश ध्वज कैंपेन’ के जरिए लगाई जाएगी.
चुनावों में राज ठाकरे किस तरफ होंगे, इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है, लेकिन गुडी पड़वा का एक टीजर लॉन्च कर चुके हैं, जिसमें उनके एक सांकेतिक बयान से सस्पेंस और बढ़ा है और इंतजार उनके भाषण का है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने उस दिन शाम 4 बजे दादर के शिवाजी पार्क में गुड़ी पड़वा का आयोजन रखा है. इस दौरान शक्ति प्रदर्शन की पूरी तैयारी है.
किस मुंह से रैली निकाल रहे हैं आदित्य ठाकरे?: शेलार
वहीं शिवसेना के उद्धव गुट की रैली जंबूरी मैदान में होगी. इसे लेकर भाजपा तंज कस रही हैं. भाजपा के मुंबई प्रमुख आशीष शेलार ने कहा, “आदित्य ठाकरे किस मुंह से रैली निकाल रहे हैं? याकूब मेमन की कब्र सजाने वाले हिंदू वर्ष मना रहे हैं? हिंदू और हिंदू वर्ष मानने वाले लोग आदित्य ठाकरे के पिछले कामों के रवैया को लेकर परेशान हैं और आदित्य ठाकरे को इस रैली में जनता पूछेगी कि उन्होंने अपनी सरकार के दौरान याकूब मेमन की कब्र क्यों सजाई.”
चुनावी मौसम में राजनीति से दूर रहने वाले संगठन भी
इसके साथ ही कुछ आयोजक चाहते हैं कि उनके आयोजन में राजनीति की परछाई भी न पड़े. हिंदू नववर्ष स्वागत यात्रा के श्रीधर अगरकर ने कहा कि पिछले 22 साल से इस यात्रा को बिना किसी राजनीतिक संबंध के निकाला जा रहा है. चुनाव करीब है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी राजनीतिक संबंध से जोड़े बिना हिंदू समाज इसे अपनी आस्था के अनुसार मनाएगा.
शिवाजी महाराज की युद्ध विजय से भी जुड़ा है कारण
महाराष्ट्र में गुडी पड़वा को मनाने का एक कारण मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध में विजय से भी जुड़ा है, इसलिए इस दिन घर के बाहर हिंदुत्व की विजय पताका के रूप में गुड़ी लगाई जाती है. इसे सफलता और समृद्धि का सूचक माना गया है. महाराष्ट्र में “शिवाजी महाराज” के इर्द-गिर्द ही सारी चुनावी कसरत घूमती है. इसलिए गुडी पड़वा की मान्यता एक पर्व से कहीं ऊपर उठकर तौली जाती है. जाहिर है कि 9 अप्रैल को सारी पार्टियां शक्ति प्रदर्शन का मौका नहीं छोड़ेगी.
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