यूपी उपचुनाव में आकाश आनंद बसपा के लिए प्रचार नहीं करेंगे यूपी उपचुनाव में प्रचार की कमान विश्वनाथ पाल को दी गई यूपी उपचुनाव से आकाश आनंद की दूरी पर सियासी अटकलें तेज
लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रचार करते हुए शायद न दिखें. बसपा उत्तर प्रदेश के सभी 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इतना ही नहीं बसपा नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद महाराष्ट और झारखण्ड विधानसभा चुनाव में एक्टिव नहीं रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में मायावती ने बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को उपचुनाव में प्रत्याशियों के लिए प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक यूपी उपचुनाव में आकाश आनंद के प्रचार को लेकर कोई शेड्यूल अभी तक नहीं मिला है. जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आकाश आनंद यूपी उपचुनाव से दूर ही रहेंगे। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी मायावती ने आकाश आनंद को उनके पद से हटाते हुए चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी. इससे पहले तीन चरणों के चुनाव में आकाश आनंद ने धुंआधार प्रचार किया था.
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जुलाई में एक बार फिर मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया और अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब और उत्तराखंड में हुए उपचुनाव में आकाश आनंद को स्टार प्रचारक भी बनाया गया. हालांकि, बसपा को दोनों ही जगह हार का सामना करना पड़ा.
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जीत को लेकर आश्वस्त नहीं
हरियाणा चुनाव में भी आकाश आनंद ने कई चौपालों के माध्यम से पार्टी और गठबंधन के लिए प्रचार किया था. लेकिन एक भी सीट जीतना तो दूर पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी गिर गया. जानकारों का मानना है कि पहली बार यूपी में सभी 9 सीटों पर उपचुनाव लड़ रही मायावती को लगता है कि अगर आकाश आनंद को जिम्मेदारी दी जाती है और नतीजा सिफर निकला तो उनकी युवा नेता वाली इमेज को झटका भी लग सकता है. साथ ही मायावती अपनी जीत को लेकर उतनी आश्वस्त नजर नहीं आ रही हैं. इतना ही नहीं मायावती आकाश आनंद को चंद्रशेखर आजाद के काट की तौर तैयार कर रही हैं. इसलिए भी यूपी उपचुनाव में प्रचार की कमान प्रदेश अध्यक्ष और प्रत्याशियों के जिम्मे ही है.
वोट बैंक सहेजने के लिए उपचुनाव में उतारे प्रत्याशी
जानकारों का यह भी कहना है कि मायावती अपने कोर वोट बैंक को सहेजने के लिए भी उपचुनाव में प्रत्याशी उतारे हैं. 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले वे अपने खोये हुए जनाधार को वापस लेने की कोशिश में हैं ताकि आकाश आनंद को एक मजबूत सियासी जमीन मिल सके. क्योंकि जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उसमें से बसपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती थी. इतना ही नहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में वह उन 10 सीटों को भी हार गई, जिन पर 2019 में उसे जीत मिली थी. इसके अलावा बसपा का वोट प्रतिशत भी लोकसभा चुनाव में गिरकर महज 9.4 फीसदी रह गया. जबकि 2019 में 19.4 प्रतिशत वोट उसे मिले थे.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 10:38 IST