कानपुर /अखंड प्रताप सिंह: जब भी नेत्र रोगों की बात होती है तो कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज (GSVM) का नाम जरूर लिया जाता है. क्योंकि, नेत्र रोग में यहां पर कई नई तकनीक विकसित की गई है. इसके साथ ही यहां पर कई रिसर्च भी की गई है, जो मरीज के इलाज में बेहद मददगार साबित हुई है. इतना ही नहीं, अब यह मेडिकल कॉलेज देश भर में रतौंधी के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है. यहां पर उत्तर प्रदेश के अलावा देश भर के अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में मरीज आकर इलाज करा रहे हैं.
बड़ी संख्या में आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु से रोगी GSVM आकर अपने रतौंधी का इलाज करा रहे हैं. रतौंधी एक जेनेटिक बीमारी होती है, जिसमें समय के साथ आंखों की रोशनी पूरी तरीके से चली जाती है. वहीं, कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में खास तकनीक से इसका इलाज किया जाता है.
स्टेम सेल थेरेपी पर भी चल रहा है शोध
इसके साथ ही यहां पर स्टेम सेल थेरेपी के जरिए भी रतौंधी का इलाज किया जा रहा है. इसमें मरीज की रोशनी वापस आई है. इसके साथ ही और नई तकनीक पर काम चल रहा है, जिनके परिणाम भी बेहद अच्छे आ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जल्द कई और तकनीक यहां विकसित कर ली जाएंगी, जिससे मरीजों को काफी फायदा मिलेगा.
देशभर के रतौंधी मरीजों को लाभ मिलेगा
नेत्र रोग विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉक्टर शालिनी मोहन ने बताया कि हमारे यहां देशभर से रतौंधी के मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे हैं, जिनका सफल इलाज मेडिकल कॉलेज द्वारा किया जा रहा है. कई तकनीक से यहां पर इलाज किया जा रहा है, जिसमें मरीज के प्लेटलेट से कोशिकाओं द्वारा इलाज किया जा रहा है. इसके साथ ही गंभीर मरीजों पर स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, कई और तकनीक पर मेडिकल कॉलेज में शोध जारी है. इनके परिणाम भी बेहद अच्छे आ रहे हैं. जल्द ही नई तकनीक भी सामने आएंगी, जिससे देशभर के रतौंधी मरीजों को लाभ मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 13:20 IST