भूमिहीन दलितों और विस्थापितों के जाति/आवासीय प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया के सरलीकरण और सरकार बनने के छह महीने के अंदर सभी आवेदकों को प्रमाण पत्र देने का वादा भी घोषणा पत्र में है। पार्टी ने ऐलान किया है कि वन संरक्षण कानून में किए गए संशोधनों को रद्द करते हुए ग्राम सभा की शक्तियों को पुनः बहाल किया जाएगा तथा वन अधिकार कानून के तहत ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत सारे लंबित निजी और सामुदायिक वन पट्टा दावों को बिना कटौती दिया जाएगा।
इसके अलावा घोषणा पत्र में सिंचाई योजनाओं की पुनर्समीक्षा, जलाशयों और डैम के पानी में झारखंड की अधिकाधिक हिस्सेदारी, विस्थापन की समस्या झेल रहे लोगों के लिए ‘पुनर्वास आयोग’, खासमहाल एवं गैर मजरुआ भूमि पर रह रहे रैयतों को रजिस्ट्री और लगान रसीद की सुविधा, रेल सुविधाओं का विस्तार, राज्य के हर पंचायत तक इंटरनेट का विस्तार, पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण, बीमा और पेंशन, बेहतर सड़क निर्माण, नए प्रखंडों और अनुमंडलों का गठन, विचाराधीन बंदियों की रिहाई, प्रवासी मजदूरों के अधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष, आदिवासी रेजिमेंट के गठन, किसानों को शून्य ब्याज दर पर ऋण, मनरेगा श्रमिकों को न्यूनतम 350 रुपए प्रतिदिन का पारिश्रमिक, धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,200 रुपए प्रति क्विंटल, वन उत्पादों के समर्थन मूल्य में 50 फीसदी तक की वृद्धि जैसे वादे भी किए गए हैं।