सिडनी . संस्कृत में प्राचीन काल से एक कहावत हम गाहे बगाहे सुनते रहते हैं अहम ब्रह्मास्मि .. यानि मैं सृष्टि का रचनाकार हूँ और मेरे से बड़ा कोई हो नहीं सकता . इंग्लिश में लोग इसे सुपीरियारिटी कांपलेक्स भी कहते है .. इस कहावत को अक्सर आप क्रिकेट खेल में चरितार्थ होते भी देख सकते है . जहां कोच और कप्तान का स्वाभिमान टकराया और जिसके पास पावर वो पड़ गया दूसरे पर भारी . सिडनी के मैदान पर जो हुआ उसकी कल्पना किसी ने कहीं थी .
सीरीज के अंतिम मैच में कप्तान की बलि चढ़ गई और चढ़ाने वाला था कोच . एक खिलाड़ी का दूसरे खिलाड़ी से वर्चस्व की लड़ाई कई बार देखी गई है पर वभारतीय इतिहास इससे उल्टा है , इतिहास के पन्नों को उठाकर देखें तो तीन ऐसी घटनाएँ देखने को मिलेंगी जिसने भारतीय क्रिकेट और व्यक्ति विशेष दोनों को नुक़सान पहुंचाया . ख़ास तौर पर जब कोच और कप्तान एक पेज पर नहीं हुए तब तब भारतीय क्रिकेट में सुनामी आई.
ग्रेग चैपल -गांगुली विवाद
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच के रूप में ग्रेग चैपल का कार्यकाल काफ़ी विवादों में रहा है. लेकिन सौरभ गांगुली के साथ उनके मतभेद ने एक समय भारतीय क्रिकेट टीम को बाँट दिया. इसकी बुनियाद तो 2005 में ही रख दी गई थी. लेकिन 2007 के विश्व कप तक आते-आते मामला काफ़ी विस्फोटक हो गया था.गांगुली और चैपल के बीच विवाद इतना बढ़ गया था कि गांगुली को 2005 में भारतीय टीम के कप्तान पद से हटा दिया गया. यही नहीं गांगुली को वनडे टीम से भी हटा दिया गया. मज़ेदार बात ये है कि गांगुली की सिफ़ारिश पर ही ग्रेग चैपल को भारतीय टीम को कोच बनाया गया था.
आख़िरकार गांगुली टीम में आए और 2007 की विश्व कप की टीम का हिस्सा भी बने, जिसके कप्तान राहुल द्रविड़ थे. लेकिन गांगुली के मन में चैपल को लेकर टीस बनी रही. 2007 में टीम के ख़राब प्रदर्शन के बाद ग्रेग चैपल की कोच पद से छुट्टी हो गई.
कुंबले – कोहली विवाद
20 जून 2017 को भारतीय क्रिकेट कभी भुला नहीं पाएगा जब दो दिग्गजों के बीच में अहम टकरा गए और तब कप्तान का क़द कोच पर भारी पड़ा था ..अनिल कुंबले तब भारतीय टीम के कोच थे और विराट कोहली टीम के कप्तान थे .विवाद तो कुंबले – कोहली की जोड़ी में पहली सीरीज से ही शुरु हो गया था पर चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फ़ाइनल में हार के बाद मामला बहुत बिगडं गया . बीसीसीआई ने कप्तान और मेरे बीच की ग़लतफ़हमियां दूर करने की कोशिश की, लेकिन कप्तान कोच बदलने पर अमादा थे और तब कप्तान की ज़िद के आगे बोर्ड को झुकना पड़ा .
रोहित -गौतम विवाद
सिडनी टेस्ट से पहले कप्तान और कोच के बिच चल रही खींचा तान लोगों के सामने नहीं आई थी पर टेस्ट से ठीक पहले कोच का प्रेस कॉफ्रेंस में आना इस बात की तरफ संकेत दे गया कि दाल में कुछ काला है. सिडनी टेस्ट से पहले भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर आमने-सामने हुए, लेकिन दोनों ने एक दूसरे से बात करना मुनासिब नहीं समझा. इस दौरान दोनों खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को इग्नोर किया. इसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि भारतीय ड्रेसिंग रूम का माहौल सच में खराब है. वहीं, सिडनी टेस्ट से पहले गौतम गंभीर से भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन के बारे में पूछा गया. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम पिच देखने के बाद प्लेइंग 11 के बारे में फैसला करेंगे. और जब टॉस के लिए बुमराह पिच पर पहुंचे तो साफ हो गया कि ड्रेसिंग रुम में एक बड़ी दरार बन गई है जो अब खत्म होने वाली नहीं है.
भारतीय क्रिकेट के इन तीन घटनाओं से एक बात तो साफ हो जाती है कि तीनों कोच का कद कप्तान के बराबर या बड़ा था और यहीं बात बाद में विवाद का कारण बनी. क्योंकि जब एक ही दल के दो लोगों के बीच लड़ाई वर्चस्व की हो जाती है तो फिर नुकसान सबको उठाना पड़ता है जैसे इस वक्त पूरी टीम इंडिया को झेलना पड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 08:39 IST