मैक्स, कैब, टैक्सी व प्राइवेट बस वालों ने यात्रियों को जमकर लूटा
देहरादून
हर किसी को घर जाने की जल्दी। चाहे बस में पांव रखने की जगह ही क्यों न हो, लेकिन किसी तरह से जिद्दोजहद कर बस में चढ़ गए और पूरा सफर खड़े होकर तय किया। होली पर यह नजारा आइएसबीटी पर देखने को मिला। बसें पूरी तरह फुल रहीं। दिल्ली रूट पर यात्रियों का सबसे ज्यादा रैला रहा और इस रूट पर लगाई गई अतिरिक्त बसें भी कम पड़ गई। दूसरी ओर, रेलवे स्टेशन पर भी यही हाल देखने को मिला। रात की ट्रेन में पांव रखने तक की जगह नहीं रही। सुबह 5:50 पर रवाना हुई ओखा एक्सप्रेस में हजारों यात्रियों की भीड़ उमड़ी। लिंक एक्सप्रेस, दून-हावड़ा एक्सप्रेस समेत मसूरी एक्सप्रेस फुल रहीं। जनरल टिकटों के लिए मारामारी मची रही, वहीं अतिरिक्त काउंटर भी लगाए गए। ट्रेनों की संख्या कम, जबकि यात्रियों की संख्या हजारों में रही।
सरकारी नौकरी पेशा तो शनिवार शाम से ही रवाना होने शुरू हो गए थे। रविवार और सोमवार को भी आइएसबीटी और रेलवे स्टेशन पर घर जाने वालों की भीड़ लगी रही। इस दौरान आइएसबीटी पर सबसे ज्यादा भीड़ दिल्ली रूट पर दिखी। वाल्वो व हाईटेक की टिकट बुकिंग तो पहले ही फुल थी। साधारण बसों में सीटें फुल होने से बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा खड़े होकर सफर किया गया। हालात ऐसे रहे कि यात्री बसों की छत पर चढ़कर जाने को भी तैयार थे, लेकिन इसकी मंजूरी नहीं मिली। यूपी रोडवेज ने भी अतिरिक्त बसें लगाई हुई थी। इस वजह से उत्तराखंड रोडवेज पर कुछ दबाव कम हुआ। देहरादून से कुमाऊं की तरफ जाने वाले यात्रियों की संख्या भी खासी रही। इस रूट पर बसों की संख्या कम होने से यात्रियों ने मैक्स कैब व टैक्सी से सफर किया।
होली पर बसें व ट्रेनें कम पड़ जाने से डग्गामार वाहनों की जमकर मौज आई। मैक्स, कैब, टैक्सी व प्राइवेट बस वालों ने यात्रियों को जमकर लूटा। तीन सौ रुपये के किराए वाले सफर के डग्गामार वाहनों द्वारा साढ़े चार सौ से पांच सौ रुपये तक वसूले गए। मजबूरी में यात्रियों को इन वाहनों की मनमानी सहन करनी पड़ी। रविवार सुबह से रात तक डग्गामार वाहन दौड़ते रहे, पर जिम्मेदार सरकारी महकमों ने इन्हें पकड़ने की जहमत नहीं उठाई। यात्रियों की भीड़ के मद्देनजर रोडवेज ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व हल्द्वानी रूट पर बसों के फेरे 20 फीसद बढ़ा दिए हैं। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि हर साल की अपेक्षा इस बार भीड़ कम है, लेकिन यात्रियों की जरूरत तो देखकर बसों की संख्या बढ़ाई गई है। कोशिश यह रहेगी कि यात्रियों को खड़े होकर सफर न करना पड़े।