Atrial Fibrillation: आज के जमाने में हम जितनी चीजों का आवष्कार कर चुके है और जितने सुविधाभोगी हो गए हैं, उतने ही नायाब और हैरतअंगेज चीजें यहां होती रहती है. एक समय जो बीमारियां आमतौर पर बुजुर्गों को हुआ करती थी, अब युवाओं में भी तेजी से होने लगी है. इसमें दिल की बीमारियां प्रमुख है. इसलिए यदि आप 30 या 40 साल की उम्र के हैं तो यह खबर आपको जरूर समझनी चाहिए. न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल ही यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर के कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. आदित्य भोंसले की एक स्टडी को प्रकाशित किया है जिसमें डॉ. आदित्य भोंसले ने पाया है कि आजकल युवाओं में एट्रियल फ्रिब्रिलेशन (ए फिब) की बीमारी ज्यादा हो रही है. दरअसल, पिट्सबर्घ मेडिकल सेंटर में अब तक 67 हजार लोगों में एट्रियल फ्रिब्रिलेशन का इलाज किया गया है इनमें एक चौथाई से ज्यादा मरीज युवा हैं.
क्या होता है एट्रियल फ्रिब्रिलेशन
टीओआई की खबर के मुताबिक एट्रियल फ्रिब्रिलेशन हार्ट की एक बीमारी है. इस बीमारी में हार्ट के चैंबरों के बीच कॉर्डिनेशन का अभाव होने लगता है. हार्ट में चार चैंबर होते हैं. दो उपर और दो नीचे. उपरी चैंबर में शरीर के विभिन्न हिस्सों से खून आकर जमा होता है और नीचले चैंबर में खून शुद्ध होकर शरीर के एक-एक भाग में पहुंच जाता है. चारों चैंबर में खून के आदान-प्रदान के बीच एक समन्वय होता है उसी हिसाब से ये खुलते और बंद होते हैं लेकिन जब किसी को एट्रियल फ्रिब्रिलेशन की बीमारी होती है तो इन चैंबरों के बीच समन्वय सही से नहीं हो पाता है. इसमें दोनों उपरी चैंबल एट्रिया अव्यवस्थित और अनियमित रूप से धड़कते हैं. वे हृदय के निचले चैंबर वेंट्रिकल के साथ समन्वय स्थापित करने में असफल हो जाते हैं. इस कारण धड़कनें बहुत तेज होने लगती है और इस स्थिति में शरीर में ब्लड सर्कुलेशन का रिद्म बिगड़ जाता है और खून का थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर और अन्य परेशानियां सामने आ सकती है.
युवाओं में ज्यादा होने का कारण
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. आर नारंग ने बताया कि जिस तरह का अध्ययन अमेरिका में हुआ है कमोबेश वही हाल यहां का भी है. एट्रियल फ्रिब्रिलेशन की बीमारी यहां भी युवाओं में ज्यादा हो रही है. खासकर के 30 और 40 साल की उम्र के बीच के लोगों को यह ज्यादा शिकार बना रही है. डॉ. नारंग ने बताया कि यंग एज में एट्रियल फ्रिब्रिलेशन का सबसे बड़ा कारण रूमेटिक हार्ट डिजीज है जिसमें हार्ट के कई वाल्व प्रभावित होते हैं. लेकिन युवाओं में वाल्व प्रभावित नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि युवाओं में हाई बीपी, कार्डियोमायोपैथी, थायरायड लेवल का बढ़ना, स्लीप एप्निया, डायबिटीज, मोटापा और क्रोनिक किडनी डिजीज है. इसके अलावा शराब का सेवन भी प्रमुख कारण है.
एट्रियल फीब्रिलेशन के लक्षण
मायो क्लिनिक के मुताबिक यदि आपकी धड़कनें बहुत तेज धड़कती हैं या उपर नीच कर रही है तो यहएट्रियल फ्रिब्रिलेशन के लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ ही छाती में दर्द, चक्कर, थकान, दिमाग घूमना, एक्सरसाइज करने की क्षमता कम होना, सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना, कमजोरी आदि इसके लक्षण है.
इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
डॉक्टरों के मुताबिक जिन लोगों को हार्ट से संबंधित कुछ न कुछ बीमारी पहले से है उन लोगों को एट्रियल फ्रिब्रिलेशन का खतरा ज्यादा है. इसके साथ ही ज्यादा शराब पीने वाले, वेपिंगकरने वाले को भी यह खतरा ज्यादा है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया वाले को भी यह जोखि म है. रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग बहुत कठिन और ज्यादा देर वाली एक्सरसाइज करते हैं या मैराथन आदि में नियमित भाग लेते हैं, उन्हें भी एट्रियल फ्रिब्रिलेशन का खतरा ज्यादा है.
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FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 12:51 IST